कभी ख़ुद के सर भी इल्ज़ाम लिया करो
हमेशा ख़ुद को हीं न सयाना समझा करो कभी ख़ुद के सर भी इल्ज़ाम लिया करो *** जो पाओ कभी ख़ुद को बाअख़्तियार तो 'अमल को मुंसिफाना रखा करो जो मिले मौक़ा' मदद का उसका इस्तक़बाल किया करो ** वो हो हबीब या फिर रक़ीब हो बिना गिला के मिला करो कोई काम आए या न आए सबके लिए दु'आ करो ** फ़ूटे घड़े सी ज़िंदगी से 'उम्र बहती जा रही मुख़्तस़र से इस हयात को बे वजह न ज़ा'ए करो *** हमेशा ख़ुद को हीं न सयाना समझा करो कभी ख़ुद के सर भी इल्ज़ाम लिया करो ~ राजीव रंजन प्रभाकर ---------------------------------------- ہمیشہ خود کو ہیں نہ سیانہ سمجھا کرو کبھی خود کے سر بھی الزام لیا کرو ...