विद्या धन और शक्ति का उपयोग सज्जन और दुर्जन किस तरह करते हैं?
विद्या विवादाय धनं मदाय शक्ति: परषां परपीड़नाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतद् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।।
ऐसा नहीं कि विद्या,धन या फिर शक्ति इत्यादि केवल सज्जन को हीं प्राप्त रहते हैं.
दैवयोग से अथवा पूर्व जन्म के पुण्य एवं संस्कार के चलते ये कुटिल,दुर्जनों तथा दुष्टों को भी प्राप्त होते देखे जा सकते हैं.
खल प्रकृति के जो लोग होते हैं वे विद्या का उपयोग विवाद करने में,धन का उपयोग अपने दम्भ के पोषण तथा स्वार्थ की पूर्ति में तथा शक्ति का दुर्विनियोग दूसरे को परेशान करने एवं सताने में किया करते हैं.
किंतु वहीं इसके विपरीत एक साधु पुरुष अपनी विद्या का उपयोग सत्कर्म में, धन का उपयोग सुपात्रों को दान देने में तथा शक्ति का उपयोग दुर्बलों की रक्षा एवं सहायता करने में करता है.
भावानुवाद-
राजीव रंजन प्रभाकर.
१२.०१.२०२५.
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