हमर पैघ भाई साहेब-"भैयाजी" : किछु संस्मरण.
हमर पैघ भाई साहेब- "भैयाजी" : किछु संस्मरण **************************************************** हमर सब संऽ जेठ भाईजी अहि जूड़ शीतल के शरीर त्याग कऽ देलनि. घटनाक्रम एहन जेना ओ अहि दिवसक प्रतीक्षा में होएथ. हमर मां हम सब भाईबहिन के कहने रहथिन कि हुनकर जनम सेहो जूड़ शीतलेक भेल रहैन. चाहे किनको उमैर के हिसाब लगेबाक हो वा जन्मक तिथि मोन राखैक प्रसंग तहिया अंग्रेजी तारीख से वेशी महत तिथ के होएत रहै. हमर भाई साहेब सब भाई-बहिन में जेठ छलाह. हम सब भाई-बहिन हुनका भैयाजी कहैत छलिएन. बचपन में मेधावी एतेक जे मां के मुंह से हम सब भाई-बहिन सुनैत रही जे एक बेर सौंसे "सुंदरकाण्ड" ओ अपन जिला स्कूल में आयोजित तुलसी जयंती'क समारोह में स्मरण से सुना देने रहथिन्ह. ताहि पर हेडमास्टर साहेब अति प्रसन्न भऽ हुनका "रामचरितमानस" पुरस्कारस्वरूप देलखिन्ह छल. विद्यार्थी'क संदर्भ में हुनक कहब रहैन जो उ अध्ययन के अपूर्ण बुझू जे पढ़लाक पश्चात ओहि पठित विषय पर अपना तरहे किछु लिखब के प्रयास नहिं...