एक प्रार्थना अपने प्रभु श्रीराम से.

हे प्रभु! दुनिया आपको दयासिंधु कहती है जो यथार्थ हीं है.
सच कहें तो मुझे आपको छोड़ किसी पर भरोसा नहीं है; यहां तक कि अपने आप पर भी नहीं.
          इसलिए मेरी आपसे एक विनती है प्रभु!-आप मेरे मनोभाव, मेरी मन:स्थिति,अज्ञानता तथा इच्छा पर दयापूर्वक विचार जरूर कीजिए; किंतु हमसे करवाइये वही जो मेरे लिए सही और मेरे सहित सभी के हित में हो.
विशेष क्या कहें;आप स्वयं अन्तर्यामी हैं.
                 🙏🙏🙏
            राजीव रंजन प्रभाकर.
               १२.०३.२०२२.

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