हमर पैघ भाई साहेब-"भैयाजी" : किछु संस्मरण.

हमर पैघ भाई साहेब- "भैयाजी" : किछु संस्मरण
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   हमर सब संऽ जेठ भाईजी अहि जूड़ शीतल के शरीर त्याग कऽ देलनि. घटनाक्रम एहन जेना ओ अहि दिवसक प्रतीक्षा में होएथ. हमर मां हम सब भाईबहिन के कहने रहथिन कि हुनकर जनम सेहो जूड़ शीतलेक भेल रहैन. चाहे किनको उमैर के हिसाब लगेबाक हो वा जन्मक तिथि मोन राखैक प्रसंग तहिया अंग्रेजी तारीख से वेशी महत तिथ के होएत रहै.
                हमर भाई साहेब सब भाई-बहिन में जेठ छलाह. हम सब भाई-बहिन हुनका भैयाजी कहैत छलिएन.
 बचपन में मेधावी एतेक जे मां के मुंह से हम सब भाई-बहिन सुनैत रही जे एक बेर सौंसे "सुंदरकाण्ड" ओ अपन जिला स्कूल में आयोजित तुलसी जयंती'क समारोह में स्मरण से सुना देने रहथिन्ह. ताहि पर हेडमास्टर साहेब अति प्रसन्न भऽ हुनका "रामचरितमानस" पुरस्कारस्वरूप देलखिन्ह छल. 
              विद्यार्थी'क संदर्भ में हुनक कहब रहैन जो उ अध्ययन के अपूर्ण बुझू जे पढ़लाक पश्चात ओहि पठित विषय पर अपना तरहे किछु लिखब के प्रयास नहिं कयल जाय.
             हमर पिताजी हुनकर विद्यार्थी जीवन में तुरते-तुरते कापी किनै के खर्च में अशक्क भऽ के हुनका लेल एकटा ब्लेकबोर्ड'क इंतजाम कतोउ से केलखिन छल. तत्पश्चात ओ अपन लिखबा'क एवं गणित'क अभ्यास प्रायः ब्लेक बोर्डे पर करैत रहैथि.
            विद्वान एहेन जे हुनका शास्त्रक साक्षात् मूर्तिमान स्वरूप कहबा में कम-से-कम हमरा कोने नै संशय,नै अशोकर्य.
           स्वाभिमानी ततेक जे बिहार प्रशासनिक सेवा में उच्च पदस्थ भऽ सेवा निवृत्ति'क पश्चात कहियो घूरि के कलेक्ट्रेट वा सेक्रिटेरिएट नहिं गेलाह. सेवानिवृत्ति के पश्चात एक बेर डीएम साहेब डेरा पर आबि हुनका कहलखिन-सेवानिवृति के पश्चात संविदाधीन सेवा हेतु आप आवेदन कीजिए; ओ हाथ जोड़ि डीएम साहेब के कहलखिन-"अब लौं न नसानी अब न नसैहों. सर! अब मैं सरकार की सेवा बहुत कर चुका अब मुझे ईश्वर की सेवा करने दिया जाए. परमात्मा का मेरे उपर सांस का बहुत कर्ज है. उसे मुसल्लम चुकाना तो ना मुमकिन है किन्तु उसका कुछ किश्त चुका कर हम उनसे सांस का कर्जा माफ कराने के फिराक में हैं."
इ सु‌नि डीएम साहेब हुनका एकटक निहारे लगलथिन. 
हुनकर उपरोक्त कथनक आशय "नाम जप" से छल जे बहुत बाद में हमरा पता चलल जखन एक बेर कोनो चर्चा केर क्रम में गीता केर श्लोक "यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि" पर उ प्रकाश डालैत रहथिन. 
             ओ प्रायः एकांतसेवी तथा मितभाषी छलाह; जखन हम देखिएन ओ आंखि मूनि सम्भवतः राम नाम'क मौन जप करैत रहैथि.
वेद, पुराण,गीता, रामायण, रामचरितमानसादि जेना हुनकर जिह्वा पर घर बनाऽ के रहथि होएथ. 
      अंग्रेजी के एतेटा विद्वान जे ओ कविता सेहो लिखैथ.(गद्य में तो बेश लोकैनि अभ्यास करै जाय छैथ)
 आय हुनक डायरी देख इ धारणा और पुष्ट भऽ गेल जे वास्तविक विद्वान अपन कृति के प्रकाशित करेबा में कोनो रूचि नै लै छैथि तकर कारण कि?
 –किएक तो ओ जे किछु लिखै छै तकर उद्देश्य स्वान्त:सुखाय होएत छै नै कि लोकेषना,वित्तैषना अथवा लोकरंजना लेल.
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            हमर भैयाजी विलपावर (willpower) के अलबत्त धनी रहैथ. Willpower एतैक स्ट्रोंग कि किछु लोकेन के नजैर में ओ जिद्दी छलाह.
लेकिन मोट में यैह कहब उचित जे ओ अपन शर्त पर जिनगी जीला.
सहानुभूति वा दीनतामूलक बात करनाय हुनका एकदम पसंद नहिं रहैन.
                   एक बेर कोनो बैठक में कमिश्नर साहेब हुनका पर कुपित भऽ कहलखिन-आपको किसने एडीएम बना दिया? हमर भाई साहेब अत्यंत शांति से कमिश्नर साहेब के उत्तर देलखिन- सर! वही बिहार सरकार जिसने आपको कमिश्नर बनाया है.
                  कहबा तात्पर्य जे भय अथवा डर हुनक व्यवहार में कहियो रंचमात्र दृष्टिगत नहिं भेल. एहि विषय पर कखनो बात कयला पर ओ प्रायः कहथिन- स्वल्पमपि धर्मस्य त्रायते महतो भयात.
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         जहिया ओ नौकरी में एला तहिए संऽ घर चलेबा'क जिम्मेदारी बूझू व्यवहार में हुनके माथ पर आबि गेल; कारण पिताजी के प्राइवेट नौकरी में आमदनी कोनो ततेक नहिं छल जे सब भाई- बहिन'क शिक्षा बिना हुनकर सहयोग के चलि सकैत.आ हमर पढ़ाई-लिखाई केर खर्च विशेषकऽ इंजीनियरिंग'क पढ़ाई सं लऽ के नौकरी'क फारम आदि भरबाक खर्चपर्यंत बुझू जे हुनके प्रतापे संभव भऽ सकल.
                  केयो हुनका सं किछु पैंच उधार वास्ते आबय ते हम इ हुनका कहैत सुनिए जे " देखू हम पैंच उधार में विश्वास नहिं राखैत छी. हमरा जतबे सामर्थ्य ये तकरा देखेत अहां के इ रूपैया मदद में देबऽ लेल चाहैत छी जे अहां से फेर हम वापस नहिं लेब; यदि इ शर्त मंजूर अछि तऽहे इ रूपैया राखू. 
अहि पर हम एक बेर हुनका कहबो केलिएन जे एहि तरहे ते लोक इहो बूझि सकैय जे अहां लोग से कोनो लेनदेन करै नै चाहै छी आओर ताहि लेल अहांसे सहायता मांगै में गोटेक लोक के अशोकर्य सेहो हेतै. 
ओ कहलैन- से अहां जे बूझू वा लोके जे बूझैथ.
अस्तु.
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एक बेर २०१८ में घर गेल छलहुं. भैयाजी'क स्वास्थ्य किछु ठीक नै देखलिए. हम हुनका से पुछलिएन मन खराब ये? उ कहलैन- नहिं कथमपि नहिं. 
        ओ फेर बजलाह- "सुनो यह बात हम तुमको भी कह देते हैं वैसे बौआ (हुनकर ज्येष्ठ बालक)को भी हम यह बात कह चुके हैं जो हम तुमको कहने जा रहे हैं. जब भी दैव योग से यदि हम इतना बीमार हों जायें कि तुम लोग मुझे अस्पताल ले जाने की सोचने लगो तो मेरी अंतिम इच्छा यही है कि मुझे किसी भी हालत में अस्पताल नहीं ले जाया जाय. जो भी दवा आदि करना हो घर पर ही करना. और यह भी कि कभी भी मेरे शरीर पर चाकू नहीं चलना चाहिए चाहे ऐसा किया जाना मेरी किसी चिकित्सा हेतु कितना हीं जरूरी क्यों न हो. मेरे अशक्त या अनकन्शश हो जाने की स्थिति में भी कभी ऐसा तुम लोग करोगे तो मैं समझूंगा कि तुम लोगों ने मेरी इच्छा का अनादर किया." 
हम पूछलिएन- से किएक? तखन ओ कहला- "क्या तुमलोगों ने मेरे मुंह से कभी सुना कि मैंने कभी किसी से सिर-दर्द का भी शिकायत किया हो? और सुनो! मेरे जन्म से अब तक मेरे शरीर पर किसी तरह का सर्जिकल चीरफाड़ नहीं हुआ है सो मैं नहीं चाहता हूं कि अब इस उम्र में मेरे शरीर को इस दौर से गुजरना पड़े और मेरे शरीर के किसी अंग को चाकू का सामना करना पड़े चाहे वह सर्जिकल नाइफ हीं क्यों न हो.वैसे भी कोई हमेशा के लिए इस दुनिया में रहने नहीं आया है जो इस लोभ में अपने आत्मा और शरीर को प्रताड़ित करने की सोचे. हो सकता है तुम्हें मेरी बात अतार्किक या जमाने तथा rational बुद्धि के लिहाज से मूर्खतापूर्ण लगे किन्तु इससे मुझे कोई लेना-देना नहीं है, मैं जो कह रहा हूं वही करना; उसमें मेरी संतुष्टि हीं नहीं बल्कि प्रसन्नता भी निहित है."
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भैयाजी अहि मास'क १ तारीख के भौजी आऽ अपन छोट बालक बिट्टू संग सहरसा संऽ हरिद्वार'क यात्रा पर निकलल छलाह. यात्रा में हुनकर सहयोग'क लेल हुनकर अटेंडेंट विकास जे बच्चे से हुनकर टहल करैत आऽ पढ़ैत-लिखैत जवान भेल;सेहो रहय. 
जाइत काल हुनका संऽ एकटा शुभचिंतक पुछलथिन-अंकलजी! हरिद्वार से कब लौटिएगा?
एहि पर ओ जे उत्तर देलखिन से आब रहस्यमय बूझि पड़ैत. ओ एहि प्रश्न केनिहाइर के हंसि के कहलखिन- बेटी! हरि के द्वार से लौटने के लिए कोई हरिद्वार जाय तो यह कोई बात हुई? 
हरिद्वार में गंगा स्नान आदि के पश्चात वापसी बेर भैयाजी हरिद्वार स्टेशन पर एस्कालेटर पर बैलेंस गड़बड़ेला उत्तर खसि पड़लाह; माथ में आउर पांजर में विशेष चोट लागि गेल छलैन. हमर भौजी इ देख बड्ड घबरा गेलखिन ताहि पर भैयाजी कहऽ लागलखिन- बड आश्चर्यक गप!चोट हमरा लागल अछि आऽ कानै कहां छी? पेशेंट के किछु तकलीफे नै आ अटेंडेंट सब तबाह!वाह रे वाह!
          ओ अपन अटेंडेंट विकास के कहलखिन- चलो-चलो कुछ नहीं हुआ है; मामूली चोट है ठीक हो जाएगा. लेकिन हुनक बालक बिट्टू रेल के डाक्टर के बजा आनलक.
डाक्टर के कहब भेल- जर्नी ब्रेक करना होगा. डिटेल में टेस्ट वगैरह कर के हीं वस्तु स्थिति के बारे में सही पता चल सकेगा. 
लेकिन ओ जर्नी ब्रेक करय वास्ते तैयार नहीं भेला. ओ डाक्टर के कहलखिन- डाक्टर साहब! आपको जो दवा आदि देना हो या जो तात्कालिक उपचार करना हो आप बेशक कीजिए लेकिन मैं जर्नी ब्रेक नहीं करूंगा और मुझे इसी ट्रेन से हर हाल में पटना जाना है और वहीं अपने इस चोट के इलाज के सम्बन्ध में कुछ सोचना मेरे लिए सही होगा. तात्पर्य इ जे ओ बिना जर्नी ब्रेक के पटना ५ तारीख के आबि गेलेथ. एतय पटना में डेरा पर लगभग एक सप्ताह धरि रहलाह; डाक्टर जे हुनका देखलक से दवाई आदि संगे पेशेंट के स्थिति'क सम्बंध में पुर्जा पर लिखलक- "Patient is Conscious and Oriented"-इ लाइन अखन धरि हमर दिमाग में घूरिया रहल ये.
पटना में डाक्टर से परामर्श'क पश्चात तथा जांच में प्रायः सब कुछ ठीके-ठाक छल. 
पटना में यावत ओ रहला तावत जतेक जे सम्बंधी आ परिचित रहथिन सब इ घटना सुनि पुछाड़ी में आबैत रहथिन. ओ सबसे बहुत प्रसन्नता से कहथिन - देखिए इस उम्र में इतनी बड़ी दुर्घटना  
के बावजूद प्रभु की कृपा से हम कैसे अनायास निकल ग‌ए.  
        कोई जे हुनका से पूछै-कि आब केहन महसूस करैत छी? ओ कहथिन- हम खराप कखन महसूस केलौं जे आब हम कही कि नीक महसूस करैत छी. ताहि पर हम हुनका कहलियनि जे इ भऽ नै सकैये जे अहांके चोटक तकलीफ न हो. 
भैयाजी बजलाह- To say a thing or situation difficult is to make it so.
 हम सांझ में आफिस से आबि हुनका सान्निध्य में
 बैठैत रही. तरह-तरह के अध्यात्मिक चर्चा से नित्य ज्ञानवर्धन होएत रहै.
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भैयाजी आब पटना सं सहरसा जाइक मन बना लेने छलैथ. ताहि'क अनुपालन में हुनक जेठ बालक बौआ के पटना आबै के आदेश भेटलैक.
सब गोटे जूड़-शीतल दिन जनहित एक्सप्रेस ट्रेन से विदा भेल. विदा होयत काल हुनकर स्वास्थ्य कोनो बढ़िया नै रहै किंतु हुनका एकर परवाह रत्ती भैर नहि रहैन. 
प्रत्युत हुनकर मन आय बड्ड प्रसन्न दृष्टिगोचर होइत छल.
सहरसा डेरा पहुंचैत देरी हुनकर मन उत्तरोत्तर खराब भेल चल गेल. होस्पीटल जाइलऽ ओ कोनो हालत में तैयार नहिं रहैथ. अगत्या डाक्टर के डेरे पर बजाओल गेल, सलाइन चढ़ेबा सं लऽ के आरो कतेक रास जांच पड़ताल जारी रहल. अंत में डाक्टर साहब' क आदेश भेल जे इनको फौरन मेरे नर्सिंग होम में लेकर आना होगा यहां डेरा पर इससे आगे विशेष कुछ किया जाना संभव नहीं होगा. 
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भैयाजी के जहिना सब गोटे जबरदस्ती एम्बुलेंस पर चढा़बे लागल ओ अपन दैहिक प्रपंच के सदा'क लेल समैट लेलनि. 
              आत्मा के ते ओ हरिद्वारे में परमात्मा से एकाकार क लेने छलाह.शरीर'क अंतिम संस्कार ओ अपन घरे पर चाहैत रहैथ ताहि ल के हुनका आय सहरसा पहुंचबाक कदाचित विशेष हड़बड़ी रहैन. 
दोसर परदेस (हरिद्वार) में वा पटने में अपन शरीर त्याग करब ओ ओहू दुआरे उचित नै बुझने हेथिन्ह किएक ते एहि सं हुनक बालक के परदेसजन्य या कि हमरे पटने में कोनो तरह'क तरद्दुद नै हो.
            अपन अनुमान से हम सब आब यैह बुझैत छी.
            बांकि हुनकर जे प्रतिष्ठा सहरसा'क समाज में रहैन ओकर चर्चा'क मात्र एतबे प्रयोजन कि सम्पूर्ण समाज शताधिक संख्या में हुनक कटिहारी में स्वयमेव पहुंचैत गेल आ हुनकर पार्थिव शरीर के ससम्मान पंचतत्व में विलीन करक उद्योग बिना हमर सबहक कहनै समाज सहर्ष अपना हाथ में ल लेलक.
             भीजल आंखि सं हुनका श्रद्धांजलि.
राजीव रंजन प्रभाकर.
१९.०४.२०२२.



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