शब्दारण्य में भ्रमण
आज चूंकि छुट्टी का दिन था तो मैंने सोचा इसका अधिकांश शब्दारण्य में भ्रमण कर व्यतीत किया जाय. शब्द-वन में मैं पहले भी आदतन बल्कि अकारण जाया करता था जब मैं एक छात्र हुआ करता था और वहां से प्रफुल्लित मन वापस लौटता था क्योंकि लौटते समय मेरे हाथ में वन के कुछ चित्र-विचित्र जंगली फल भी रहते थे जिसे देख मेरे कुछ मित्रकहते थे-अरे! ये तो पहले नहीं देखा था; कहां से लाए? मैं यह सुनकर मन ही मन प्रसन्न होता था.
सारांशत: उस जंगल में मुझे हमेशा कुछ न कुछ मिला ही जिसका कर्जदार मैं आजीवन रहूंगा. इससे उऋण होना सम्भव हीं नहीं. कहिए कि यह भ्रमण मेरा एक favourite pastime हुआ करता था. इस कारण शब्दों से मेरी एक तरह से गहरी दोस्ती हो गई थी.
किंतु कहते हैं न कि नौकरी लोगों को बहुत कुछ देती है तो बहुत कुछ छीन भी लेती है सो वह छिन जानेवाली चीज में किसी का hobby भी प्रायः शामिल रहता है.
अब मेरे शब्दों के इस जंगल की सैर करने की आदत लगभग छूट सी गई है.इस आदत के छूटने का मुझ पर जो असर हुआ वह मुझे बहुत दुःखी करता है. अब तो हाल ये है कि कई सुंदर,सलोने,सजीले शब्द जो पहले मुझे देख खिलखिला उठते थे तथा जिनसे मैं भी खेलकर आनंदित होता था;अब मिलने पर मुझे पहचानने से भी इंकार कर देते हैं.
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सो आज जब मैने इस शब्द-वन में प्रवेश किया तो पाया कि चीजें कितनी बदली हुई थीं. चंद पुराने शब्दों के पेड़ को छोड़ कोई मुझसे बात तक करने को तैयार नहीं था. इस उपेक्षा से मैं मन हीं मन विचलित मार्गविहीन यत्र-तत्र बढ़े जा रहा था.
अचानक मुझे लगा कि कोई मुझे पीछे से पुकार रहा है.
कहो बरखुर्दार! कहां थे इतने दिनों?-ये उस बूढ़े पेड़ की आवाज थी जिसे सुनकर मुझे हैरानी और आश्चर्य दोनों हुआ.
मैंने ससंकोच कहा-नहीं-नहीं! मैं कहीं बाहर नहीं गया था.वो कुछ जिंदगी की मसरूफियात ऐसी रही कि मैं तुझसे अरसा बाद मिल सका हूं.भला कोई अपने पुराने दोस्त को भी भूल सकता है क्या?
मेरे उसे दोस्त कह संबोधित करने से वह भावुक हो उठा.उसने अपनी पनियाईं आंखों से कहा- वही तो मैं सोचता था कि तुम तो मुझे इतनी आसानी से नहीं भूल सकते.याद है तुम मेरे पास इसी जमीन पर बैठ घंटों मुझसे बातें करते रहते थे और मैं अपने उस छोटे से दोस्त को अपने पेड़ के रंग-बिरंगे फल चुन-चुन खिलाता था और जाते वक्त कुछ फल और भी गिरा देता और तुम उसे अपने जेब में रख लेते थे.
मैंने कहा-नहीं दोस्त! आज मैं जो कुछ भी हूं वो तुम्हारी दोस्ती की वजह से ही हूं. मैं भला तुम्हें कैसे भूल सकता हूं.
फिर उसने पूछा-इतने दिनों बाद आये हो. शादी तो कर ली होगी?
मैंने कहा-हां, पहले नौकरी लगी और फिर शादी; एक बेटी भी है. वो बड़ी हो गई है.इस वक्त ग्रेजुएशन में है.
उसने कहा- अल्हमदिलिल्लाह!और बताओ क्या लोगे?
मैंने कहा- अब तुम तो जानते ही हो कि मैं पेड़ तो हूं नहीं जो फल खुद न खाकर दूसरे को खिलाए. मैं एक आदमी हूं और आदमी स्वभाव से ही स्वार्थी होता है. आज फिर तुमसे कुछ फल लेने हीं आया हूं.
ये सुन वह बहुत जोर से और बहुत देर तक हंसता रहा और फिर बोला- तुम तो यहां आना हीं छोड़ दिए तो मैं क्या करूं! वो शशि अब भी यहां बराबर आता है और मुझे अपनी बातों से रिझाना शुरू कर देता है. मैं भी खुश होकर जाते वक्त उसके बैग में कुछ अनोखे फल डाल देता हूं.
मैंने चौंकते हुए पूछा-कौन शशि?
उसने कहा-अरे वही शशि जो तुम्हारे पार्लियामेंट में भारी- भरकम शब्दों का इस्तेमाल कर लोगों को हैरत में डालता रहता है. हांलाकि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए. जब तुम्हारे उस भारी-भरकम शब्द लोगों को समझ हीं न आए तो उसके इस्तेमाल का क्या मतलब? सिवा इसके कि तुम उसे flaunt करने के मकसद से ऐसा कर रहे हो.मैंने सुना है वह कभी-कभी इन फलों का इस्तेमाल तंज के रूप में भी करता है.
हां! बतौर शौक इसके इस्तेमाल में कोई मनाही नहीं है बशर्ते कि इसका इस्तेमाल दिखावे या तंज के लिए न हो. अब वह आएगा तो मैं उससे ये कहूंगा. खैर छोड़ो.
अभी मैं तुम्हें दो-चार फल घर ले जाने दे रहा हूं; खुद भी खाना और अपने बेटी को भी खिलाना. स्वादिष्ट लगे तो फिर आना. मेरे पास ऐसे फलों की कमी नहीं है.
मैंने कहा- फल के साथ फल कब और कैसे खाया जाय ये भी बताना होगा.
उसने कहा-हां भाई. तुम अभी भी बच्चे ही रह गए. भला जब कोई किसी को नई चीज देता है तो वह उसके इस्तेमाल का तरीका भी बताता है.
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उसने कहा- देखो तो ये कैसा है? उसने मेरी तरफ एक फल फेंक कर कहा.
मैंने देखा- उस फल पर लिखा था-"Accimus"
मैंने कहा-इसका मतलब?
उसने कहा- मान लो तुम तुम्हें किसी चीज की ईच्छा है लेकिन पूछने पर कहते हो नहीं-नहीं; लेकिन मन हीं मन सोचते हो कि मिल जाता तो अच्छा था. तो बरखुरदार वहां उस सिचुएशन में इस शब्द का इस्तेमाल करो तो बेहतर.
उसने कहा-एक्जाम्पल भी चाहिए तो लो.
I know you want donuts but outwardly say- I don't. This shows your accimus for those donuts.
फिर उसने पूछा-Kakorrhaphiophobia सुने हो?
मैंने कहा-नहीं.
वह हंसा और बोला-ये fear of failure or defeat को कहते हैं. इस फोबिया की वजह से अच्छे-अच्छे सूरमा जिंदगी से लड़ने के पहले हीं हार मान लेते हैं. इससे इंसान को बचना चाहिए.
उसने पूछा- तुम्हें ऐसा कोई मिला है जो सुबह उठते ही नाश्ता के लिए बेताब दिखे?
मैंने कहा- ये तुम क्यों पूछ रहे हो?
उसने कहा- अरे मैं तो बस तुम्हें एक शब्द को बेहतर समझने के लिए ऐसा बोला. Jentacular शब्द ऐसे नाश्ता से ताल्लुक रखता है जो सुबह उठते ही कुछ लोग करते हैं. उदाहरण चाहिए तो ये लो- He often has to take a post-jentacular walk to settle his fully-filled stomach in the very morning.
फिर उसने पूछा- serendipity शब्द के बारे में क्या जानते हो?
मैंने कहा- तुम्हीं बताओ.
उसने कहा- भई इसका मतलब तुम सुखद संयोग समझो. मान लो कि आफिस जाने के लिए तुम्हारी बस छूट गई इसी बीच तुम्हारा बाॅस चौराहे पर तुम्हें देख कर अपनी गाड़ी रोक तुम्हें बैठने को कहे.
(मैंने मन ही मन सोचा काश हमारे बिहार में ऐसा आफिसर-स्टाफ रिलेशन होता.)
इसका इस्तेमाल भी तुम इसी सिचुएशन को डिपिक्ट करने में कर सकते हो; मसलन I was disappointed to see my bus just leaving the stop when I reached there.But at the same time I saw my boss therethrough going to office who stopped his car for me to get in.
मैं बहुत देर चुप रहा तो उसने कहा-क्या सोचने लगे?
मैंने अपना भाव छुपाते हुए उससे कहा-ये सब तो ठीक है; लेकिन हमको भी तुम वे शब्द क्यों नहीं बताते जो तुम थरूर साहब को बताते हो?
वह हंसा और बोला- मुझे लग रहा था कि तुम मुझसे ये जरूर पूछोगे. तो बरखुरदार मैं एक बात कहना चाहूंगा कि इन शब्दों को जानना भले हीं बौद्धिक बहादुरी की बात हो लेकिन इनके प्रयोग से तुम उनसे दूर हो जाते हो जिसके सामने तुम ऐसा करोगे. बांकि शब्दों से खेलना हो तो वह अलग बात है.
बहरहाल इन शब्दों को देखो. इनका प्रयोग करना है या नहीं;अगर करना है तो सिचुएशन क्या होगा वो तुम जानो.
मैं फिलहाल तुम्हें इनके सिर्फ अर्थ हीं बताउंगा.
Billet doux- love letter.
Lalochezia- the psychological satisfaction gained after cursing or abusing one.
Agastopia-admiration of a particular feature of the body, especially of women.
kraterocracy- a government based on coercive power.
Hebdomadal-weekly.
Pickaninny-a black child.
Peterman- a thief or a safe-breaker.
Bumbershoot- Umbrella ☂️
मैंने कहा-बस करो,आज के लिए इतना बहुत है.शाम होनेवाली है अब मैं लौटूंगा.
वह हंसा- ठीक है; लेकिन फिर आना. इस बार बहुत देर नहीं करना.
राजीव रंजन प्रभाकर.
१६.०२.२०२२.
(रविदास जन्म-जयंती)
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