इक भगवान जानता है.

भगवान जानता है 
जाकर जहाॅं से कोई
 वापस नहीं आता 
वह कौन सी जगह है;
भगवान जानता है.
जो भी भला बुरा है;
भगवान जानता है. 
कब किसे है देना कितना;
भगवान जानता है.
कब किससे है लेना कितना;
भगवान जानता है.
हर लेन-देन का हिसाब;
भगवान जानता है.
जमाना क्यों बदलता है;
भगवान जानता है.
घटनाएं क्यों घट रही हैं,
भगवान जानता है.
यह सब क्यों हो रहा है;
इक भगवान जानता है.
भविष्य में क्या लिखा है;
भगवान जानता है.
पर्दों में क्या छुपा है;
भगवान जानता है.
पुण्य कितना बचा है;
भगवान जानता है.
पाप का घड़ा कितना भरा है;
भगवान जानता है.
सारा का सारा सब कुछ 
भगवान जानता है.
~ ब्रह्मलीन पुण्यश्लोक 
        सुभाष चंद्र वर्मा, 
(my elder brother
Drawn from his writings)

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