हनुमत्श्लोक (स्वरचित)

हनूमान प्रभंजनजाया सर्वविद्या विशारद:
आञ्जनेयं महावीर: संकटापन्ने आत्मबल:
चिरंजीवी सर्वकाले सर्वकार्यविधायक:
यदृच्छयासमुत्पन्नम् अनिष्टोत्पातविनाशक:
प्रविश्यस्वर्णपूरीददाहलंकाम् हत्कुमारअक्षय:
पददलितोपिनष्टपुरीश्च मर्दितोदर्प रावण:
हनुमतोर्वसतिससीतराम: रामस्याक्लिष्ट कर्मण: 
सकृदपि पठेत् वा भजते भावपूर्वक:
अचिरात भवति ते रामद्वार प्रियसेवक: *************************************
~राजीव रंजन प्रभाकर:
     ‌ ***
आंजनेय वायुपुत्र महावीर हनुमान
सर्वविद्याविशारद हैं तथा संकट काल में आत्मबल रूप हैं.
वे चिरंजीवी हैं तथा सभी काल में सभी कार्यों के विधायक हैं.
हनुमान संयोगवश वा आकस्मिक रूप से उत्पन्न अनिष्ट एवं उत्पात के विनाशक हैं.
उन्होंने स्वर्ण पूरी लंका में प्रवेश कर सम्पूर्ण पूरी को जला दिया तथा रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध कर डाला.  अपने पैरों के नीचे लंका में सभी को कुचल कर तथा पूरे लंकापूरी को पीस कर हनुमान ने घमंडी रावण के दर्प को चूर-चूर कर डाला.
हनुमानजी के हृदय में सीताराम बसते हैं तथा वे हीं भगवान श्रीराम के कठिन कार्यों के कर्ता-धर्ता हैं.
इस हनुमत्श्लोक को जो एक बार भी भावपूर्वक पढ़ या भज लेता है; ऐसा व्यक्ति शीघ्र हीं रामद्वार का प्रिय सेवक हो जाता है.

राजीव रंजन प्रभाकर.
२०.०५.२०२५.

Comments

Anonymous said…
🙏🙏

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