हे प्रभु!
हे प्रभु!
मैं स्वयं को इस योग्य समझता हीं नहीं कि आप मुझे अपना रूप दर्शन करा दें.
क्योंकि आपने मुझे नाम लेने योग्य बना दिया फिर भी सांसारिक प्रपंचों में घिरा ठीक से मैं आपका नाम तक नहीं ले पाता हूॅं.
प्रभु!
आपसे प्रार्थना है कि मेरे ऊपर इतना भर कृपा कर दीजिए कि भले हीं आपका नाम भी ठीक से न ले पाऊॅं किंतु आपका नाम लेने की चाहना मात्र मुझमें उत्पन्न होकर नित्य बढ़ती जाए.
दर्शन का क्या है;बाद में देखा जाएगा.
राजीव रंजन प्रभाकर.
११.०५.२०२५.
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