कहिया एबहक हौ अप्पन बाबू!
कहिया एबहक हौ अप्पन बाबू! ****************************************************** तहिया'क एक टा गऽप कहै छी जखन विकास'क रथ मोटरगाड़ी'क रूप में गाम घर में नहिं पहुंचल रहै. तहि गामक एक टोल से फगुआ(होली) के बादे कतेको घर से कमाबैक लेल बहुत गोटे दिल्ली-पंजाब जाय गेल. सड़क तखन तेहन नहिं जेहन कि आय देखैत छी. गाम घर में तखन सड़क'क नाम पर एकपेरिया रास्ता मात्र दृष्टिगोचर रहैत छलैक जकर दूनू कात मालिक सबहक खेत-पथार होयत छलैक. वैह एकपेरिया रस्ता'क सहारे बुझू जे घंटा-दू-घंटा चलि के थलवारा टीसन पहुंच के लोकसब परदेस'क बाट पकड़ैत रहय. चाहे अहां मालिक होउ वा मजूर; गरीब रहू या धनीक; रस्ता दून'क खातिर एकपेरिये छल. हं आब गामो घर में एकपेरिया रस्ता सब बेस चौड़गर सड़क में बदैल गेल अछि. आ मोटरोगाड़ी सब बहुते रास आब गामे में उपलब्ध छै. मुदा तखन जीविका केर कठिनता दूर करबाक एकेटा साधन बांचल छल. उ साधन छल जे परदेस जा क किछु उपार्जन भऽ सकैय; बेसी नहिं त कम-से-कम नोन-रोटी चलबा जोकर. ओना जहां ...