कहिया एबहक हौ अप्पन बाबू!

कहिया एबहक हौ अप्पन बाबू!
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तहिया'क एक टा गऽप कहै छी जखन विकास'क रथ मोटरगाड़ी'क रूप में गाम घर में नहिं पहुंचल रहै. तहि गामक एक टोल से फगुआ(होली) के बादे कतेको घर से कमाबैक लेल बहुत गोटे दिल्ली-पंजाब जाय गेल. 
सड़क तखन तेहन नहिं जेहन कि आय देखैत छी. गाम घर में तखन सड़क'क नाम पर एकपेरिया रास्ता मात्र दृष्टिगोचर रहैत छलैक जकर दूनू कात मालिक सबहक खेत-पथार होयत छलैक. 
वैह एकपेरिया रस्ता'क सहारे बुझू जे घंटा-दू-घंटा चलि के थलवारा टीसन पहुंच के लोकसब परदेस'क बाट पकड़ैत रहय. 
चाहे अहां मालिक होउ वा मजूर; गरीब रहू या धनीक; रस्ता दून'क खातिर एकपेरिये छल.
     हं आब गामो घर में एकपेरिया रस्ता सब बेस चौड़गर सड़क में बदैल गेल अछि. आ मोटरोगाड़ी सब बहुते रास आब गामे में उपलब्ध छै. 

           मुदा तखन जीविका केर कठिनता दूर करबाक एकेटा साधन बांचल छल. उ साधन छल जे परदेस जा क किछु उपार्जन भऽ सकैय; बेसी नहिं त कम-से-कम नोन-रोटी चलबा जोकर. 
         ओना जहां तक कमेबा'क प्रश्न अछि इ बात नहिं जे परदेस जाय के कमेबा'क क्रम आब टूइट गेल हो. आइयो प्रायः गाम से सब लोकैन नहिं ते बहुत रास लोकेन के कमेबा'क लेल परदेस जाइये परैत छै.
 दहार-सुखार तखनो तहिना आबैत रहय जेना कि आय काल.
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एक बारह-तेरह बरिसक बच्चा. ओकर बाबू बहुत प्रेम से ओकर नाम बबलू रखने रहै; लेकिन ओकर माय ओकरा नुनुए कहैत रहै. 
बबलू अपन फूस बला घर केर माटिक ओसारा पर मोन मारि के बैसल छल. 
ओकर माय ओसार'क एक कोन में बनल चुलहा पर रोटी बनाबैत रहय. चारि-पांच बरिस के ओकर बहिन रोटी बनाबैत माय के पीठ पर लटैक ओकर कन्हा पर उछैल-उछैल के चढ़ैक कोशिश करैत रहय. आ ओकर माय रोटी बनाबै में दिक्कत'क चलते ओकरा बेर-बेर डांटि के उतारि दैत रहय. 
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बच्चा (अपन माय से खौंझा'क)- माय! अप्पन बाबू कहिया एतै गे? तूं कहने रही किसनामुठी(कृष्णाष्टमी) में तोहर बाबू गाम एतौ. बाबू कहां एलै?
 आब दसहरो मेला आबय बला छै. बाबू अखन धरि नहिं एलै. टोल में सबहक बाबू आबि गेलै. एगो हमरे बाबू नहिं एलै हें. रहुलबा'क बाबू ते ओकरा लेल डिल्ली से एगो टूनटूनियां गाड़ी नेने एलै हें.
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ये कंनियां! सुनै छियै; दछिनवारि टोल के महेश डिल्ली से आयल छै. ओकरा मार्फत बबलूआ'क बाप समाद भेजलको जे उ परसू भोरे गाम पहुंच जेतौ.- सुनैर काकी आंगन में आबि ओसारा पर बैसेत बजलीह.

 प्रायः अही बेर में ओ बबलू'क माय लग आबि के बैस जाइत छलीह. बबलू'क माय नहिं किछु त दूधक अभाव में लाले चाय जरूर हुनका लेल बना दैत रहय. बबलू अप्पन दादी के नहिं देखने रहै. ओकर जनम से पहिनै ओकर दादी के स्वर्गवास भऽ गेल छल. पिछुलका साल ओकर दादा'क सेहो देहांत भऽ गेल. 

बबलू के माय- कि कहै छी काकी! उ एकोटा हमर बात सुनै छै! कतेक कहलिए जे अखन डिल्ली जाय के कोनो काज नहिं छै.
  गामें में मेहनत मजूरी से कोनो घरक खर्ची जेना- तेना नहिं चलतिये कि? 
 मुदा उ ककरो सुनै तब ने! डिल्ली से ते लागै छै जेना ढ़ौआ-रूपैया के मोटा बान्हि के घूरतै! 
बबलू(खुशी सं)- हं गे दादी!हमर बाबू परसू भोरे आबै छै? के कहलकौ?
(बबलू मोने-मोन बहुत प्रसन्न. ओकरो बाबू ओकरा कोनो कम मानै छै कि? ओकर बाबू राहुलबा'क टुनटुनियां गाड़ी से बढ़िये कुछ ओकरा ले आनतै.)
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परसू भोरे चाइरे बजे अन्हारे बिना माय के जगौने बबलू चुपचाप उठि के एकपेरिया पकैड़ थलवारा टीसन'क रास्ता धऽ लेलक. ओकरा बुझल रहै जे बड़की टीसन समस्तीपुर से फुजैवला पहिल पसिंजर टरेन'क टेम थलवारा टीसन पर भोरे पांचे बजे छै. 
 उ गाड़ी प्रायः थलवारा टीसन पर पांच बजे भोरे पहुंचियो जायत छै. बेसी देर गाड़ी रूकबो कहां करै छै. दूइये मिनट ते रूकै छै; तहि में सब पसिंजर के अपन समानो उतारे पड़ैत छै आओर अपनो उतरै पड़ैत छै. 
उ देखने नै छै कि! कनि काल ले चढ़ै-उतरै बला पसिंजर सबमें टरेन आबैत देरी हरहोड़ मैच जायत छै.
       बाबू के हड़बड़ में उतरै में कहीं दिक्कत नहिं होय. दिक्कत किया हेतै! हम ते जाइये रहल छियै.
वाह! हम टरेन के आबै से पहिनै पहुंच गेलौं. बबलू मोने मोन सोचैत एक टा बेंच पर बैस गेल. कनि काल ले ओकर आंखि लागि गेल.
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रो तोरी के! बाबू'क हाथ में ते वैह ललका छोटकिनमा साइकिल देखै छियै जे धनिकहा'क बेटा सब चलाबै छै!
         हय राहुलबा! साइकिल के घंटी नै सुनै छी तूं ?
बहीर छी कि? हंट रस्ता पर से! नहिं ते अपन टुनटुनियां संगे तहूं हमर साइकिल से पिचा जेबै.
एकाएक टरेन'क हुसिल सुनि के बबलू के निन टुइट गेलै. 
ओ हड़बड़ा क उठि टरेन के लाटफारम पर रूकै के इंतजार करै लागल.
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 यात्री सब धराधर उतरै लागल. बबलू अपन आंखि के सब डिब्बा दिस फेक रहल ये. 
जाऽऽ!टरेन ते आब ससैरियो रहल छै. ओकर आंखि उतरैवला सब पसिंजर में अपन बाबू के हेर रहल छै. 
बबलू अप्पन बाबू के लाटफारम पर हेरैत-हेरैत अपसिंयांत भऽ गेल. 
लागै छै बाबू एहि टरेन से नहिं आयल.     

       उदास बबलू इ सोचैते रहय कि तखन एकाएक एकटा पच्चीस सालक जुआन बबलू के आगू में ठाढ़ भऽ क बबलू के ठिकिया के देखै लागल. 

बबलूओ ओकरा चिन्ह गेल रहय. इ त गाम के मालिक फूलबाबू'क बेटा रमणजी छियै.

 ओकर चेहरा पर मोछ कटल रहैक बादो बबलू के चिन्है में कोनो दिक्कत नहिं भेलै. 

   रमणजी शायद आब डिल्लीए में रहै ये; कोनो बड़का कौलेज में मालिक ओकर नाम लिखा देने छै.     
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            ओकरा मोन पड़ि गेलै जे केना रमणजी ओकर कान मोचारि के दू थापड़ मारलक रहय जखन ओ मालिक के गाछी सं खसल दु गो पकलका आम बिछ के घर जायत रहय. मारबो केलक आओर आमो छीन लेने रहय.
     जा धरि इ रमणजी गाम में रहल ता धरि सबके मारिते रहैत छल. 
बहुत दुलारु रहैक कारण मालिको ओकरा किछु नहिं कहथिन.
 इ कियै फेर गाम आबि गेल? लागैत ये दसहरा'क छुट्टी में आयल हें; बबलू मोने मोन सोचै लागल.
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रमणजी-रौ! तूं फलनमा'क बेटा छी न! हमर पप्पा तोरे स्टेशन भेज देलको?तोरा से ई भीआयपी उठतौ?
चल-चल.
          हय ले इ भीआयपी माथ पर धर. चल गाम.
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बबलू हेहरू भऽ के ओतहि भोकारि पारि कानय लागल.
कुहि भऽ कानैत बबलू बाजल- हौ अप्पन बाबू! कहिया एबहक हौऽऽऽ.
                                            राजीव रंजन प्रभाकर.
                                                   २९.०९.२०२२.

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