डैमेज कंट्रोल.

डैमेज कंट्रोल.
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बीडीओ साहेब का सरकारी आवास.
(बीडीओ साहेब ब्लाक में अपने इस सरकारी आवास में अकेले रहते हैं; परिवार पटना में रहता है. उन्होंने ब्लॉक के हीं किसी गांव के एक बीस-एक्कीस वर्ष के युवक जिसका नाम बिनोद है,को अपने साथ रखा है. बिनोद उनका घरेलू स्टाफ के तौर पर काम करता है तथा बीडीओ साहेब के क्वार्टर के आउटहाउस में हीं रहता है.)
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बीडीओ साहेब के आवास पर एक काले रंग की एसयूवी एकाएक आ कर रूक जाती है. गाड़ी के आगे वाले प्लेट पर बड़े अक्षरों में "विधायक" लिखा हुआ था.विधायक जी की गाड़ी में उनके साथ एक-दो लोग और थे.
गेट पर गाड़ी रूकते हीं बिनोद अपने बनियान के ऊपर कमीज डाल उसका बटन लगाते-लगाते हीं दौड़ पड़ता है.
****************************************************** तब तक विधायक जी गाड़ी से उतर चुके थे. वे इधर-उधर बस यूं ही खड़े-खड़े गरदन घुमा-घुमाकर चारों ओर मुआयना करने लगे. हांलांकि बाद में उन्हें महसूस हुआ कि बेकारे गाड़ी पर से उतरे; बिनोद तो आइये रहा था. सोचने लगे उतरना गाड़ी से तब चाहिए था जब बिडियो अपने अगवानी में चलकर उनकी गाड़ी तक आते. 
इतने में बिनोद भी कैम्पस का गेट खोल उनके एकदम नजदीक पहुंच कर उन्हें "झूउउक" कर प्रणाम करता है. 
      
सफेद पैंट-शर्ट और सफेद जूते तथा रे-बैन का चश्मा पहने  विधायक जी के चेहरे से रौब टपक रहा था.
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विधायक जी- का रे बिनोद! तोहर साहेब हथुन कि ना!
बिनोद- ना सर! उ जे भोरे निकले से अभी तक ले कहाॅं आये हैं. आइये बैठिए न सर.चाय बनाते हैं.
विधायकजी- न! न! चाय अभी नहीं पियेंगे. हम एगो जरूरी काम से पटना जा रहे थे; सोचे ब्लॉके हो कर चलते हैं. वैसे तोहर बीडियो साहब कहाॅं जा रहे हैं, से तुमको कुछ बता के नहीं गये का? आज त सन्डे है. पटना नहीं न चल ग‌ए?
बिनोद- ऐसन कुछू बता के त नहीं गये. पटना जाते हैं त हमको बता के जाते हैं. हमको त लगा जे सरे के हिंयां गये हैं.बांकि थे उ कल्हे से बड़ी टेंशन में. 
 उ का है कि डीएम साहेब कल जिला से ब्लाक में एकाएक चार गो टीम भेज के ब्लॉक के सभे पंचायते का इसपेकसन करा दिए हैं. इसपेकसन के दिनमा आपको भी बीडीओ साहेब बहुतैय बार फोन लगा रहे थे; फेन रतियो में लगा रहे थे लेकिन क्या है कि आपका फोनमें बार-बार नौट-रिचेबल बता रहा था. 
            तब से हमर सर बहुतैय टेंशन में चल रहे हैं. आज भोरे-भोर उठ के हमरा से बोले कि बिनोद हम थोड़ा निकल रहे हैं; हमको आने में लेट हो सकता है तुम खा लेना. मेरा खाना बनाने की जरूरत नहीं है. हम पूछबो किए कि सर कहां जा रहे हैं त बोले- बताना जरूरी है? तो लो सुनो डैमेज कंट्रोल में जा रहे हैं. ई कह के खिसिया के गाड़ी पर चढ़ ग‌ए.
विधायकजी चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोले- नऽऽ! हमरा पास तो उ नऽ आये हैं. तब कहां जा सकते हैं? 
          विधायकजी के साथ चल रहे नेताटाइप व्यक्ति ने बीच में टपकते हुए कहा- गये होंगे डीडीसी के पास फूल-पान चढ़ाने आउर चिरौरी करने और कहां गए होंगे?
विधायक जी फिर बिनोद से बोले- का कहे उ तुमको "डैमेज कंट्रोल"? हमरा बिना उनसे "डैमेज कंट्रोल" हो जाएगा?
          जोर से हंसकर विधायक जी ने फिर कहा- बीडियो साहेब आवें त उनको कह देना पटने आकर भेंट कर लें. सब ठीक हो जाएगा. हम है न! कोई चिंता की बात नहीं है.
बिनोद(दांत निपोरते हुए)- जी सर. आपके रहते बीडीओ साहेब के कोई कुछू कर सकता है क्या?
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गाड़ी पर चढ़ते हुए विधायकजी के एक प्यादा टाइप सेवक ने बिनोद को चुपचाप धीरे से फुसफुसा कर कहा- एगो बात कहें बिनोद भाई! केकरो कहिएगा नहीं.परसो रतिया में विधायकजी बड़ी देर तक आप ही के बीडीओ साहेब के बारे में डीएम साहेब से फोन पर ढ़ेरों शिकायत बतिया रहे थे. हम अपने कान से सुने हैं.
 लगता है आपके साहेब विधायक जी से आजकल बहुत-बहुत दिन पर भेंट करने जाते हैं का? भेंट-घाॅंट का रिनुअल होते रहना चाहिए. बांकि आप अपने बहुत समझदार हैं. बेसी क्या कहना है!

                                              राजीव रंजन प्रभाकर.
                                                ०८.०९.२०२२.

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