बोर्ड परीक्षा'क रिजल्ट.

एम्हर बूझि पड़ैत जे बोर्ड परीक्षा केर रिजल्ट सब बहरायल ये.बिहार बोर्ड अपन रिजल्ट निकाललक कि नहिं से नहिं पता किंतु आयसीएससी आओर सीबीएसई केर रिजल्ट निकैल गेल अछि. 
एपार्टमेंटक जतेक विद्यार्थी लोकेन परीक्षा में बैसल छलाह किनको ९० प्रतिशत से कम नम्बर नहिं छैन्ह. जकरे पुछै छी से कहै ये हमको ९२ परसेंट तो कियो कहै ये ९६ परसेंट आदि-आदि.
सब खुशी से बताह छैथ. हुनकर गार्जियन लोकैन हुनको से बेसी. सुनाबऽ लेल ओ हमरा लग अबै जाय छैथ अवश्य किंतु किनको हाथ में मिठाई-तिठाई किछु नहि रहैत छैन्ह. 
ओना हमरा शुगर ये; से मिठाई हम बेसी खाइतो नहिं छी.ओना कियो खुआबऽ चाहता ते हुनकर मन छोट नय भऽ जाय एकर विशेष खियाल राखि हम मना नहिं कऽ सकैत छी; हें! हें! हें!😁.
             केयो कहै ले आबै छैथ- "अंकल! आय गौट 96 परसेंट" तऽ केयो अकैड़ कऽ कहै छथिन्ह- "99 परसेंट मार्क्स आया है लेकिन मैं अंकल सटिस्फाइड नहीं हूं क्योंकि इंग्लिश में 1 मार्क काट लिया गया है. सोच रहे हैं चैलेंज करने का."
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इ सब सुनि के हम छगुंता में पड़ि जायत छी. बल्कि सरिपो पुछू ते हम परीक्षार्थी सब केर रिजल्ट'क पहाड़ सन पर्सेंटेज मार्क्स सुनि किंकर्तव्यविमूढ़ भऽ गेल छी. परीक्षक लोकेन कोन तरहे कोपी जंचैत छैथ से नहिं कैह जे गणित-विज्ञान विषय के बात तऽ छोड़ि देल जाउ इतिहास, भूगोल,नागरिक-शास्त्र एवं साहित्यो (हिंदी वा अंग्रेजी) में आजु-काल्हिक विद्यार्थी के सौ-में-सौ नम्बर आबै छै.
बुझै में आबैत ये जे आजुक मुलकक विद्यार्थी लोकैन शंकराचार्यो से बेसी मेधावी एवं तीक्ष्ण बुद्धि भऽ गेल छैथ. अस्तु.
      एकटा हमर सबह'क समय रहै. सुनलिए जे मैट्रिक के रिजल्ट निकैल गेल छै ते डर'क मारे जिला स्कूल दिस डेगे नै बढ़ैत रहय. एक- दू विषय केर परीक्षा हमरो खराप चलि गेल रहै; से मोन मे सदिखन डाउट(doubt) बनल रहैत रहय जे कदाचित ओहि सब्जेक्ट में क्रॉस नै कहीं लागि जाय. परीक्षा'क बाद सतरहो बेर ओहि विषय में नम्बर जोड़ि के देखैत रही जे कम-से-कम पासो मार्क आबि रहल ये कि नहिं. नै ते बुझै छिए-सगरे टोला महल्ला में बेइजत-बेइजत भऽ जैतहुं!
तरह-तरह के आशंका से रास्ता में देह भूलैक जायत छल. मन में सोचि लेने रही कि जों कदाचित फेल भऽ गेलहुं तो ओम्हरे से ट्रेन पकैड़ के मामा लंग चैल जाएब जतय ओ ताहि समय नोकरी करैत छलाह. जब बात सराइल भऽ जेतै त फेर घूरि के चैल आयब.
हमर सबहक समय में बेसी विद्यार्थी तऽ फेले कऽ जायत रहय. पास केनिहार में सब प्रायः थर्डे डिवीजन रहैत छलाह. जे सकेंड डिवीजन से पास करैत तिनकर गार्जियन के बुझू जे खुशी के ठेकान नहिं रहैत रहै. फर्स्ट डिवीजन से पास करै वाला के भेलू तऽ बुझू पुछू नै. दस-दस गामक अंतराल पर कोनो-कोनो विद्यार्थी'क विषय में सुनवा आबय जे फलना बाबू या फलनमा'क बेटा फर्स्ट केलकै हैं. 
औरक गप छोड़ि दिय हमर छोटका कक्का तीन बेर में मैट्रिक पास केने रहैथ. सब बेर हुनका अंग्रेजीये में क्रॉस लैग जायत रहैन. अंतिम बेर ग्रेसे मार्क्स'क सहारे पास केलैन.अस्तु. 
आब अहि दुनिया में नै हमर मामा छैथ नै छोटका कक्का.
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एहि प्रसंग में एकटा प्रहसन मोन पड़ैत ये; से सुनू.
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बाप- रौ! रिजल्ट निकललौ? 
बेटा-हं बाबू.
बाप- छूच्छे हं कि कहैत छैं?पास केलैं कि नै से न कह.
बेटा-बाबू! यार कका'क बेटा जे रमेशबा छऽ से फैल भऽ गेलै.
बाप- तूं अपन ने कह. तूं पास केलही कि नै?
बेटा- पछवारि टोल'क फूलकका के भातिज सुनीलबा सेहो फैल भऽ गेले हैं. ओकरा ते दू-दू विषय में क्रॉस लैग गेल छै. आओर कारी मामा'क बेटी सुनीतिया जे अपना के बड़ तेज बुझैत रहै सेहो फैल छै. सदिखन हमरा ओ दस गोटेक बीच में हमर नौलेजे टेस्ट करय लागैत रहै. ठीक भेल ओकरा.
बाप (खौंझाय के)- हमरा तूं बेकुफ बुझै छी रौ?हम पूछि रहल छियो तोहर अप्पन रिजल्ट'क बारे में ते तों सौंसे समाज'क हमरा रिजल्ट सुनाबै ले एलैं हैं.
बेटा- तऽ हम समाज से बाहर छिए कि? हमरा ऐ समाज में रहनाय छै कि नहिं. एतनो नै तूं बुझै छहक?
बाप (घरवाली से)-सुनै छिए ये! कनि आंगन से हमर पेना नेने आउ ते. इ छौंरा के हम देह तोड़ि दै छिए. 
इ फैल भऽ गेल हैं आ हमरा बुधियारी सिखाबै ये. अहां एकरा बिगाड़ि के छोड़ि देने छियै. एकर खाना-पीना बंद करू. 
(नोट-तहिया बेटा के जवान भेला'क बाऽदो बाप से मारि खाय पर कोनो रोक-छेक नहिं रहै)
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राजीव रंजन प्रभाकर.
३१.०७.२०२२.




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