जीएसटी @५%

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आज बाजार में आटा,चावल-दाल,नमक,तेल वगैरह खरीदने हेतु जाने पर लगाए गए "कर" चुभने से तुलसीदासजी की ये पंक्तियां बरबस याद आ गई जिसे मैंने कभी अपने स्वर्गीय पिताजी के मुख से सुनी थी. 
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बरषत हरषत लोग सब करषत लखै न कोई।
तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सन होइ।।
~तुलसीदास(दोहावली).
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तुलसीदासजी कहते हैं कि सूर्य जब इस धरा से जल को खींचता है,तब किसी को पता भी नहीं चलता, परंतु जब बरसाता है,तब सब लोग हर्षित हो जाते हैं.
इसी प्रकार प्रजा को बिना सताए (यहां तक कि कर देने में प्रजा को कुछ भी कष्ट न हो; इतना सा उगाह कर समय पर उसी धन से व्यवस्थितरूप से प्रजा का हित करने वाला) सूर्य सरीखा राजा प्रजा को सौभाग्य से ही मिलता है.
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 पता नहीं ऐसा वीर एवं धुरंधर अर्थशास्त्री विश्व में कब जन्म लेगा जो शासन को उन उपायों को खोज कर बता दे जिसमें खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत में वृद्धि के बिना भी कराधान सम्भव हो सके.

 राजीव रंजन प्रभाकर.
१९.०७.२०२२.

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