बिहारी कहलाना गाली नहीं गौरव है.

बिहारी कहलाना गाली नहीं गौरव है.
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आज सुबह में मन विचलित करनेवाली खबर पढ़ अंदर हीं अंदर खौल गया.
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कारण था इस हद तक पढ़ी-लिखी महिला जो दिल्ली उच्च न्यायालय में एडवोकेट है,ने अपने "सुशिक्षित", "संस्कारी" एवं "सम्भ्रांत" होने का परिचय कुछ इस तरह दिया कि सुरक्षा गार्ड द्वारा अपार्टमेंट का गेट जरा सी देरी से खोलने पर न केवल उसे भद्दी-भद्दी गालियों से नवाजा बल्कि उसका कालर पकड़ उसे बेशर्मी से धक्का भी दिया. 
लर्नेड एडवोकेट का नाम है-भाव्या राय.
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भाव्या राय यहीं नहीं रूकी. उन्होंने उस गार्ड को बतौर गाली "बिहारी" कह कर उन सभी को आहत एवं आक्रोशित किया है जिनका ताल्लुक बिहार से है.
मैडम भाव्या राय! मैं नहीं जानता कि आप किस राज्य से हो किन्तु आपके राज्य को पूरे सम्मान देते हुए यह कहना चाहता हूं कि मैडम!आप क्या जानो बिहार और बिहारी क्या और कौन हैं? 
किसी भी मामले में कोई भी बिहारी के सामने नहीं टिक सकता है.
मैडम! बिहार और बिहारी क्या और कौन हैं- इसका उदाहरण देना भी हम आपके लिए जरुरी नहीं समझते हैं. 
बहुत भ्रम में हैं आप मैडम.
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शासन को इस पर कठोरता से कार्रवाई करने की आवश्यकता है. 
It is a veiled attack upon the federal structure of the country when any word associated with a "state" or its residents is deliberately used as an "abuse".- I hold.
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आजकल के धनपशु जो सुशिक्षित एवं सुसंस्कृत होने का खाल ओढ़ कर समाज में प्रतिष्ठित बने रहते हैं,को ठीक से पहचानने की आवश्यकता है.
तथा यह भी कि
कोई स्लैंग या स्थानीय शब्द कालांतर में कैसे अंग्रेजी डिक्शनरी में स्थान पा लेता है इसके बारे में भी जानने की आवश्यकता है.
मैं थोड़े में बहुत कहना चाहता हूं. इसमें मैं सफल हुआ या नहीं,नहीं कह सकता.
"बिहारी"शब्द को पहले तो कुछ लोगों ने उपहाससूचक बना रखा था किन्तु अब यह गाली के रूप में भी प्रयोग किया जा रहा है.यह देख चित्त चंचल और मन आक्रोशित एवं व्यथित हैं.
विशेष क्या कहे!हम बिहारी भी इसके लिए कम दोषी नहीं है. परस्पर सहयोग, सहकार और स्वाभिमान की बात न कर छोटे-छोटे स्वार्थ की पूर्ति में जब-तब आत्मसम्मान को हीं भजाने लगते हैं. 
राजीव रंजन प्रभाकर.
२२.०८.२०२२.

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