ईमानदारी की समीक्षा.

स्थल- केन्द्रीय सचिवालय का केंटीन
समय- लंच टाइम.
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एक ओडरली(अपने साहब का बखान अपने सहकर्मियों के बीच)-
हमर साहब बहुतै ईमानदार हैं. घूस-घास से कोसों दूर. हम तो क‌ई बार देखे हैं उ जौन फाइल में कोनो प‌इसा कौड़ी वाला मामला रहता है उनको तुरंतै पता चल जाता है;उ न तुरंत अपने स्टेनो को कह देते हैं-जो देखो जी कोई लालच में नहीं आना है; नहीं तो फिर समझ लेना कोई शिक़ायत अगर मिला तो तुम्हारी खैर नहीं होगी. 
दूसरा ओडरली- छोड़िए-छोड़िए ज्यादा बोलिए मत. हम न जानते हैं का आपके साहब को? अरे हम उनके साथ भी रहे हैं जब उ फलनवां डिपाट में थे. हुंए से न उ आपके विभाग में आये हैं. माने कि पैसा कौड़ी लेने का शिकायत नहीं है; बांकि हैं पक्का जातिवादी.
खोज-खोज के अपन जाति के लोगन के मदद पहुंचाते हैं. एकरे आप ईमानदारी कहते हैं. एक बार तो कौन दो परचेज के ठेका भी उ अपन जाते भाई के दे दिहिन थे जे पर एल वन वाला ढ़ेर हल्ला-गुल्ला मचैले था विभाग में; बोल रहा था टेंडर मैनेज कर अपन जात के ठीका को दे दिया गया. 
एकरे आप ईमानदारी कहते हैं जी?
पहला- लीजिए इ कोनो बात हुआ. अपन जात भाई के मदद करने से कोई बेईमान कहलाबे लग जाएगा का? आप भी न गजबे-गजबे बात करते हैं. अब त सरकारो जात के मानता दे रहा है,पता है कि नहीं अब इहे सब खातिर न जात गिने का काम शुरू होखे वाला है ताकि बाकि सब बुझ सके केकरा समाज में केतना लोग है. 
समझ लऽ जात-पात के ईमानदारी से कौनो लेवे-देवे के न बा. इ कौन आश्चर्य के बात बा? हर आदमी के अपने जात से आस रह ता. नियम कानून चाहे कुछू कहे.
तीसरा- एजी आप जे कहिए लेकिन हैं आपके साहब, बड़ी रौब वाले.
एक बार देखे कि एतना अंग्रेजी में कोनो स्टाफ को गरिया रहे थे कि ओकर तो हालत खराब था. दूसरे दिन पता चला कि बेचारा सस्पेंड हो गया. लोग बता रहा था कि मैडम ओकर शिकायत कर दिया था.असल में का कहते हैं मल्टीप्लेक्स सिनेमा. ओकर टिकट बेचारा जब तक ले कर पहुंचा तब तक सिनेमा का आधा घंटा बीत चुका था सो मैडम का मूड बहुत खराब हो गया था. इसके चलते साहब बहुतै नाराज हो गए. बाद में जे शोकाज उसको दिया गया ओकरा में आरोप था कि "ईशू एवं रिसिट पंजी का निरीक्षण किया गया; पाया गया कि उसे विगत एक सप्ताह से न तो अद्यतन किया गया है न हीं सभी कालमों को ठीक से भरा पाया गया जो आपकी घोर लापरवाही है एवं कर्तव्यहीनता का द्योतक है." वगैरह-वगैरह.
पहला- तऽ आप अपने बौस को खुश नहीं रखियेगा जी? हाकिम को खुश रखने के लिए बहुत जरूरी है कि मैडम को खुश रखा जाय.एतना छोट बात आपको समझ में नहीं आ सका तो आप बेकारे पचीस बरस से आडरलीगिरी कर रहे हैं.
चौथा-(जो अभी तक चुप था) आप लोग अपने साहब को ‌जितना ईमानदार कह लीजिए; लेकिन हमर साहब भी कोने कम ईमानदार नहीं हैं. उ कौनो काम में न देखते हैं कि केकर कौन जाति है. उ मेरिट देखते हैं और कुछ नहीं. बस कभी-कभी कोई केकरो शिकायत कर देता है तो उ सहजे पतिया जाते हैं;आ लगते हैं उ आदमी के चहेटने. न ओकरा कभी छुट्टी देंगे न ओकरा से सीधे मुंह बात करेंगे. जब-तब डांट-डपट कर डिमोरलाइज करते रहेंगे. बेचारा उ दिनमा एगो कोनो आ के बड़ा बाबू के बारे में बोल दिया कि उ पैसा के चलतवे फाइल को रोकले हैं; लगे साहब उ आदमिये के सामने बड़ा बाबू के बेइज्जत करे. पीछे पता चला कि साला उ आदमी को बड़ा बाबू से जमीन का कोनो निजी केस मोकदमा चलता है. 
क्या कीजिएगा इ तो आपको मालूमे होना चाहिए कि हाकिम को खाली काने होता है;आंख नहीं.
बात-बात में दोसरा पर खाली शक करैत रहते हैं जैसे कि दुनिया में उ हे एगो ईमानदार हैं बांकि सब बेईमान. 
लोग कहता है कि सब डिसीजनवें का कहते हैं; उ व्हिम में लेते हैं. कोई कुछ कह दिया उसको सच्चे मान लेते हैं;अपना तरफ से कुछ माइंडे अप्लाय नहीं करते हैं.
पांचवां- तब ई कौन ईमानदारी हुआ जी? 
हालांकि सुनते हैं आपके साहब घूस तो नहीं लेते हैं बांकि कमीशन लेने से कौनो परहेज नहीं है.
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आंय हो कमीशन घूस नहीं हुआ?-छठा बोला.
चौथा-धू महाराज! आप भी न! अरे कमीशन घूस की श्रेणी में नहीं आता है. एतनो नहीं पता है? महाराज! कमीशन वाला सिस्टम न रहे तो सारा सरकारी सिस्टमे चौपट हो जाई.
       कहां हैं आप? सर जी! एगो; का कहते हैं टराजेंकशन; एगो टराजेंकशन नहीं हो पायेगा. टरांजेकशन वाला पहिया में कमीशन ग्रीस का काम करता है.
का तुहूनऽ ठाकुरजी!जान बुझ के हमरा से बोलवा व तारऽ.
राजीव रंजन प्रभाकर.
०६.०६.२०२२.



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