कपट और क्रोध:एक संक्षिप्त विश्लेषण

कपट और क्रोध के विषय में आप क्या सोचते हैं? यही न कि ये दोनों हीं व्यक्ति के चारित्रिक दुर्गुण हैं जिसे कोई भी पसन्द नहीं करता भले ही पसन्द-नापसंद करनेवाला स्वयं कपटी या क्रोधी क्यों न हो। बात बिल्कुल सही है। लेकिन यदि कपट एवं क्रोध के बीच किसी एक को चुनने की बाध्यता हो तो आप का चुनाव कैसा होगा ये मुझे पता नहीं किन्तु मेरी दृष्टि में कपटी व्यक्ति को दूर से हीं प्रणाम कर अपनी राह पकड़ लेना ज्यादा हितकारी है; शर्त ये है कि हमें यह निश्चित तौर पर पता हो कि अमुक व्यक्ति का कार्यकलाप पूर्व में कपटपूर्ण रहा है। उस पर विश्वास नहीं करने में जितना कल्याण है उतना कर के कदापि नहीं। इस सम्बन्ध में नदी किनारे हाथ में कंगन लिये बैठे बाघ की कथा का स्मरण अनायास ही कथा से परिचित लोगों को हो गया होगा। उपर कपट के विषय में कुछ कहने का अभीष्ट कदापि नहीं है कि क्रोध का किसी भी रूप में समर्थन हो जाय। अपितु यह तो सर्वानुभवगम्य तथ्य है कि क्रोध का ग्रास सर्वप्रथम क्रोधी स्वयं होता है। मेरा मत है कि कोई भी व्यक्ति भले ही स्वभाव से क्रोधी हो किन्तु वह क्रोध करना चाहता नहीं है। वह प्रकृतिव...