अखबार में छपे एक इंटरेस्टिंग न्यूज पर

दिन रविवार; जल्दी उठने की कोई हड़बड़ी थी नहीं. बाकि सब दिन १४ पेज के अखबार को महज़ १४ मिनट में निपटा कर आफिस जाने की तैयारी करना होता है,सो आज बाकि दिन वाली बात नहीं थी. 
आराम से अखबार पढ़े जा रहा था. बीच में दो बार चाय भी चल गया था. एक बार स्वेच्छा से; दूसरी बार अनुरोध पर.
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अखबार के अंतिम पृष्ठ पर जाते-जाते लगभग एक घंटा से ऊपर हो चुका था. अचानक एक खबर पर नज़र जाकर अटक गई. खबर हीं कुछ ऐसी थी.

“92 वर्ष की उम्र में पांचवीं शादी रचाएंगे रूपर्ट मर्डोक” आगे लिखा था-मिडिया टाइकून रूपर्ट मर्डोक 92 वर्ष की उम्र में पांचवीं शादी करने जा रहे हैं. अपने से 25 साल छोटी मोलेकुलर बायोलोजिस्ट ऐलेना जुकोवा से उन्होने सगाई की है.खास बात यह भी कि मर्डोक को उनकी तीसरी पत्नी ने जुकोवा से मिलाया था.

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गजब! 
हम सोचे ई इंटरेस्टिंग न्यूज़ पर पत्नी का क्या रिएक्शन होता है; जरा जानें. 
पत्नी जो किचन में खाना बना रही थी,को हम पलंग पर बैठे-बैठे आवाज दिए-सुनिए न! एगो बहुत इंपोर्टेंट न्यूज़ पेपर में छपा है. 
पत्नी-हमको अभी कोनो न्यूज नय सुनना है. आपका न संडे है जो भोर से अभी 10 बजे तक बैठ के अखबार में घुसे हुए हैं और फिर उसके बाद कहिएगा खाना में क्या सब बना है? हमरे लिए संडे हो या मंडे कोई फरक है क्या! 

हम- नहिं-नहिं जरा सा आइए न! बहुत हीं अच्छा न्यूज है. पढ़ कर किसी को इंस्पिरेशन मिल सकता है. मैंने खुशामदी अंदाज में कहा.
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ना-नुकुर करते हुए वह किचन से आते हीं बोली-जल्दी बताइए क्या छपा है पेपर में जो आप एतना अधीर हुए जा रहे हैं. हमको आपके जितना टाइम नहीं है.
अभी भात पसाना है; फिर कहिएगा भात गील कैसे हो जाएगा. 
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हम सोचे बोलकर सुनाने से बेहतर है कि उस न्यूज को उसके सामने हीं रख दिया जाए ताकि वह खुद पढ़ ले. मुझे उनके रिएक्शन से मतलब था जो थोड़ा-थोड़ा हमको पता हीं था. बस रिएक्शन में शब्द क्या निकलते हैं, इसी का इंतजार था. 
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मेरी प्रिय पत्नी तीक्ष्णबुद्धि होने के साथ-साथ थोड़ी उग्रबुद्धि भी है. 

पढ़ते हीं तमतमा कर बोली- आप कहना क्या चाहते हैं? 
हम(सिटपिटाते हुए)- हम कहाॅं कुछ कहना चाह रहे हैं. हम तो बस ऐसे हीं आपको बुला कर खबर दिखाना चाहते थे.
पत्नी- अपने को तीसमार खाॅं मत समझिए. 
हम-मतलब 92 साल में प्यार नहीं हो सकता है क्या!
पत्नी-बेसी बात मत बनाइए.
  और सुनिए ऊ मिडिया बैरोन है; आप जैसा नोकरिहारा नहीं है. उससे बराबरी करने चले हैं?आपके जैसा ऊ 1000 को नौकरी पर रखे हुए है. ऊ पांच ठो क्या; पंद्रह ठो शादी कर सकता है.92 क्या! ऊ 99 साल में भी शादी कर सकता है;पैसा ऊ चीज है.
 और हाॅं; सुन लीजिए.पैसा पर बिकने वाले का फिर कोई वेलु भी नहीं रहता है!
जहाॅं कहीं कुछ पढ़ लिए कि लगे ख्याली पुलाव बनाने!
 इतना इमेच्योर आदमी तो हम देखबे नय किए!
ई जानबे नय करते हैं कि नोकरिहारा लकड़हारा बराबर होता है; बल्कि उससे कहीं कम्मे होता है. 
नोकरिहारा को तीस दिन खोदने पर मजदूरी मिलता है और लकड़हारा को अपने मेहनत का मजदूरी रोज़ मिलता है. 
  उठिए! जाकर नहाइये; उसने आदेशात्मक लहजे में कहा.

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हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, सिवा इसके कि न्यूजपेपर को तहे-तह मोड़ कर आदेश पालन हेतु तौलिया खोजने का उपक्रम शुरू किया जाए.

राजीव रंजन प्रभाकर
१०.०३.२०२४.

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