भैया'क आशीर्वाद.
हम जतय कतउ रहैत रही अपन जनमदिन’क अवसर पर प्रत्येक वर्ष अपन सबसे पैघ भाय “भैयाजी” कऽ फोन कय हुनका सॅं आशीर्वाद अवश्य लऽ लैत छलहुॅं.
आब भैयाजी नहिं रहलाह.
अस्तु आय अपन जनमदिन पर हम घर में भैयाजी सॅं छोट किंतु हमरा सॅं जेठ भाय जिनका हम सबगोटय “भैया” कहैत छिए, तिनका फोन केलहुॅं. सोचलहुॅं जे “भैयाजी”तऽ छैथ नहिं से नहिं तऽ “भैये” के फोन पर गोर लागि के हुनकर आशीर्वाद लऽ लेल जाय.
हमर “भैया” आब सेहो स्टेट बैंक के मैनेजर पद सॅं रिटायर भऽ गेल छथि.
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फोन पर
हम- भैया! गोर लगै छी.
भैया- खुश रह. कि हाल-समाचार?
हम- आय हमर जनमदिन छिए ने ताहि लऽ कऽ भोरे भोर फोन हम केलहुॅं अछि.
भैया-वाह! वाह! आनंद रह. एकटा बात पूछैत छियो से कहऽ
हम-पुछू.
भैया- नीन(नींद)होयऽ नै?
हम-हॅं खूब नींद होइय. सात-आठ घंटा रोज सुतय छी.
भैया-तखन पचैयो में कोनो दिक्कत तऽ नहिए होयत हेतऽ?
हम- नहि. कोनो दिक्कत नहीं होय यऽ. काल्हियो आधा किलो मोटका छाल्ही वला दही चूड़ा संग खेने छलहुॅं. हफ्ता में एक बेर माछो-भात भैये जाय छै.
पचै(digestion)में ते कोनो समस्या नहीं बुझायत अछि!
भैया- आ चलय बुलय में कोनो तरह’क समस्या?
हम- नहिं. चलय बुलय में कोनो समस्या नहीं अछि. अखनो आवश्यकता पड़ला पर पैदले माइर दैत छी. दू-अढ़ाई किलोमीटर दूरी बूझू जे बिना थाकल चइल सकैत छी.
लेकिन इ सब बात अहाॅं हमरा सॅं कियैक पूइछ रहल छी.
भैया- कियैक पूइछ रहल छी! अहाॅं के एतनो बुइध नहीं ये?
अरे बुड़बक! कोनो मनुष्य स्वस्थ छै कि नै तकर यैह टेस्ट छिए! से टेस्ट हम अहाॅं के लैत रही.
शरीर’क अहि तीनू गतिविधि पर फोकस केनै रहू आओर बाकि ऑफिस में चाहे घर में या फेर बाहर में के कि कहि देलक-नै कहि देलक,के कि कऽ रहल अछि-नै कऽ रहल अछि,ककरा पास कोन वस्तु-चीज छै-नै छै, के कि किनलक नै किनलक,ककरा कि भेटलै-नै भेटलै,धिया-पुता पढ़ै ये कि नै,ओकरा रोज़गार भेटतै कि नै,आदि विषय सब पर कोनो ध्यान नहिं दैत चिंता-फिकिर’क मोटरी महादेव’क दिस टघराऽ दियौ तथा हे! ध्यान रहय जे अपन जे अहाॅंक काज वा कर्तव्य अछि ताहि में मन सॅं एवं निष्ठापूर्वक लागल रहू आ खूब दनदनाइत आऽ मलकैत रहू.
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अहाॅं’क जनमदिन पर हमर यैह सलाह-सह-आशीर्वाद अछि.
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हम ऐ तरह’क आशीर्वाद सुनि के गदगद भऽ गेलहुॅं.
बुझाऽ पड़ल जे भैयाजी’क भाषा में भैया हमरा आशीर्वाद दऽ रहल छथि.
राजीव रंजन प्रभाकर
२१.११.२०२३.
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