एकटा गप्प (अप्पन गाम'क भाषा-ठेठीवला मैथिली में)

हम जै समय में मैट्रिक-इंटर के विद्यार्थी रही तहिया हमरा में एक टा प्रतिभा ई छल जे हम दोस-महिम(friend circle)के बीच हॅंसी लगाबऽ लेल तरह-तरह के गप्प खूब छॅंटैत छलहुॅं.

आब ते स्वास्थ्य आदि सॅं लऽ कऽ बच्चा सबहक पढ़ाई-लिखाई वा चंद तरहक घरेलू समस्या सहित आओर नौकरी-चाकरी'क झंझावात में तेहन ओझराइल रहैत छी जे ओ प्रतिभा कहिया विलीन भऽ गेल से पते नै लागल. 

              आब ते घर में घरवाली'क उपराग,गज्जन(complain and reprimand) आओर आफिस में साहेब'क डांट सुनि-सुनि भरि दिन मुॅंह लटकले-बिधुवायल(depressed)रहय ये.
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ओना सही कही तऽ इहो गप्प छॅंटैवला प्रतिभा हमर नैसर्गिक प्रतिभा नहिं छल.एकर कारण ई थिक जे हमर गाम'क दूरी हमर शहर'क घर सॅं मुश्किल से दसे-पन्द्रह किलोमीटर छै. ताहि समय में हम जहिया-जहिया गाम जाइत रही सब बेर अपन बच्चा भाई [हमर पितियौत(cousin)भाय] से किछु नै किछु गप्प सीख के ओकर पुड़िया बना कऽ अप्पन जेबी में राखि लैत रही. 

यद्यपि बच्चा भाई हमरा सॅं बहुत जेठ छलाह तथापि ओ सबके अप्पन गप्प से हॅंसाबय में बड्ड माहिर रहथिन. हुनकरे गप्पक पोटरी में से पुड़िया बना-बना'क तहिया शहर'क दोस-भजार(friend circle)सबहक बीच वा आओर लोकैन के बीच हम गप्प छॅंटैत रही तथा क्रेडिट लऽ लैत रही. 
गप्प मूल में तऽ रचैत छला बच्चा भाई आओर ओकरा सुना-सुना के क्रेडिट (वाहवाही)लैत रही हम.

गाम-घर में ठीके कहब छै-कमाबे लंगोटिया खाय ललधोतिया.

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 देखल जाय तऽ रचना केर क्षेत्र में अखनो एहन परम्परा सूक्ष्म वा स्थूल रूप से विद्यमाने अछि. कतेको रास लोक सब दोसरे गोटेक रचना के अप्पन बता-बता' क क्रेडिट लैत रहैत छैथ.

ओना देखल जाय तऽ कोनो भी रचनाकार'क मौलिको रचना के ततैक मौलिक नहिये कहबा'क चाही किएक तऽ उहो जे समाज में देखै छैथ-जे सुनै छैथ,ताहि अनुभव'क आधार पर तकरे बना-सोना कऽ अपन कलम से लिखै छैथ; ओय में हुनकर बुधियारी मात्र एतबे जे चूॅंकि हुनका सबके लिखै ले आबै छैन्ह ताहि से ओ परिस्थिति तथा पात्र-गण'क संवाद'क वर्णन मात्र कौशलपूर्वक कऽ दैत छथिन जाहि सॅं हुनका ओ सब वस्तु भेट जायत छैन्ह जाहि लेल ओ लिखैत छैथ. 

            स्वान्त:सुखाय प्रायः कम्मे लोक लिखैत छैथ.
   प्रतिभा ते वास्तविक ओकर कह'क चाही जे लोकैन ओ पात्र, परिस्थिति के जीवैत छैथ जे कोनो रचनाकार'क वर्णन केर विषयवस्तु बनैत छै.
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 आब हमर बच्चा भाई अय दुनिया में नहिं रहलाह.मुदा हुनकर गप्पक पोटरी जे हुनका चाव से सुनैत रहथिन तिनकर मुख से अवश्य कोनो नै कोनो रुप में प्रसंगवश बाहर आबिये जायत छै. ओ तथा हुनकर बिनोदपूर्ण गप्प चर्चा क क्रम में जीवंत भऽ जायत अछि. हुनका सादर नमन.
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ऊपर एतेक रास लिखबा'क प्रयोजन ई जे एहि बेर जब हम अपन भतीजी'क विवाह केर अवसर पर सहरसा गेल रही तऽ हमर सब बहिन सहोदर से लऽ कऽ पितियौत-ममियौत-पिसियौत सहित तथा पैघ स लऽ कऽ छोट धैर जकरा हमर ताहि समय'क गप्प सुनि कऽ हॅंसीं लागैत रहै, ताहि में जे बहिन हमरा सॅं उमैर में पैघ छल से सब हमरा कहय लागल-
           रौ! बौआ! कोनो हॅंसीवला खिस्सा कही. कतेको बरस भऽ गेल तोरा सॅं हॅंसींवला गप्प सुनला.
ई सुनि जे बहिन सब हमरा सॅं उमैर में छोट छल सेहो जिद करय लागल जे; हॅं यौ भैया!कहियौ-कहियौ हमहूॅं सब सुनबै.
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अस्तु!हम बच्चा भाय के स्मरण केलहुॅं आओर शुरू भेलहुॅं.
ओ जेहन भाव भंगिमा'क संग कोनो गप्प के पसारैत रहथिन तकर पासंगो हमरा बुतय सम्भव नहिं अछि तथा ओ भाव-भंगिमा के लेखन में उतारब'त बूझू जे सर्वथा असम्भव.
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    हम कहलइये- तऽ सुनय जायजो.
एगो गाम में कोनो गिरहथ(गृहस्थ) रहय. ओकरा दू बिगहा खेत रहय.तकरे जोइत-कोइड़ के ओकर परिवार चलैत रहै. भरि दिन ओ अपन खेती-खोला में लागल रहैत रहय. 
          गिरहथ अपने बड्ड सीधा लोक. ततेक सीधा जे ओकरा जे कोई कुछ कहय ते ओ ओहि गप्प पर विश्वास कऽ लैत रहय.चूॅंकि अपना ओ कोनो पढ़ल-लिखल नहिं रहय ताहि लऽ कऽ ओकरा बड्ड सिहंता(cherished desire) रहय जे ओकर बेटा नीक जोंकऽ पढ़य. लेकिन उ छौंड़ा ततैक खुरलुच्ची(naughty)जे पूछू ने. 
देखेत-देखेत ओकर बेटा जकर नाम ओ दुलार सॅं "पढ़ुआ" रखने रहय,मैट्रिक में पहुॅंच गेलै. तहिया बोर्ड के परीक्षा सेंटर सटलका दोसर जिला या सब-डिवीजन में पड़ैत रहय. आइ-काल्हि के लोक वा विद्यार्थीगण सहजे नहिं पतियेता(believe)जे तहिया मैट्रिको के बोर्ड परीक्षा'क रिजल्ट अखबार में छपैत रहै. 
गाम-घर में मैट्रिक'क बोर्ड परीक्षा'क अवसर पर बूझू जे दोसरे तरहक उत्साहपूर्ण वातावरण तहिया भऽ जायत रहय. 

बोर्ड परीक्षार्थी'क भेलू (value) ततेक बढ़ि जाय जे कहब कठिन. गाम-घर टोला-महल्ला के लेल ओ बड़का भीआयपी भऽ जायत रहय. बूढ़ो-पुरान ओकरा से कनि सम्हैरिये के बात करैत.
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बलवा हाट'क स्कूल के मैट्रिक परीक्षा में सेंटर सिमरी बख्तियारपुर के हाई स्कूल भऽ गेलै. बलवा हाट सॅं सिमरी बख्तियारपुर'क दूरी नहियो नहिं तऽ कम से कम २५ किमी से कम नहिं छैक. दूरस्थ ग्रामीण इलाका में अवस्थित स्कूल के परीक्षार्थी सब के सेंटरे वाला जगह पर डेरा-डंटा ठीक करऽ पड़ैत रहै जाहि सॅं ओतहि रहि कऽ परीक्षा में ओ बैसि सकैत किएक तऽ ओहि समय में यातायात'क साधन कोनो आइ-काल्हि जों कऽ ततेक विकसित ते रहय नै. ताहि लेल विद्यार्थी सबहक गार्जियन सब के बहुत रास वस्तु'क ओड़ियान(manage) करऽ पड़ैत रहय.राशन-पानी घरे स आनि के परीक्षावला बासा पर रहय लेल भोजन-भात'क इंतजाम करऽ पड़ैत रहय.
ई सब प्रकरण बहुत रास विद्यार्थी एवं ओकर गार्जियन सब लेल तरद्दुद के बात तऽ अवश्य होयत छलय लेकिन उत्साहो ततबे देखल जायत रहय.
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मिलजुमले रैह'क परीक्षा दै में चूॅंकि खर्ची कम लागत ताहि सॅं दू-चारि गो गामे'क परीक्षार्थी संग पढ़ुआ सेहो एके ठाम रहि क परीक्षा दैक लेल डेरा ठीक कयल.
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जा धरि परीक्षा चलल सबहक गार्जियन अपन-अपन धिया- पुता के परीक्षा केहन जा रहल छै तै बहाने पूछारी लेल समय निकालि के आवै जायत रहैथ.पूछारी में किनको पिताजी अपना विद्यार्थी लेल सनेस में किछु नै किछु अवश्ये आनैत रहय.
 जै बासा पर पढ़ुआ रहि क परीक्षा दैत रहय ओतय आन संगी परीक्षार्थी'क बाबू सब पूछारी में आवैत रहय. कोनो विद्यार्थी'क बाबू ओकरा लेल अमौट आनलक तऽ ककरो बाप अपन परीक्षार्थी बेटा लेल मारिते खजूरे-पिड़ुकिया सनेस में अनलक रहय. 
पढ़ुआ सोचैत रहय जे ओकरो बाबू ओकरा से भेंट करय लेल अवश्ये एतय आयत तथा ओकरो लेल ओकर माय नहिं किछु तऽ मोटका छाल्हीवला दही बाबू'क मार्फत भेजबे करत. 
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मुदा ओकर बाबू आइयो धरि नहिं एलै,आय त परीक्षो खतम भऽ जेतै. पढ़ुआ के भीतरे-भीतर अपन माय-बाबू पर बड्ड पित्त(internally ruffled)चढ़ल रहय. पढ़ुआ सोइच लेलक-गाम पहूॅंच कऽ हम माय-बाबू दुनू गोटय में से ककरो से बात नहिं करबै.
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पढ़ुआ'क माय (अपन घरवला से)- कनकिरबा (dear son)के देखय ले एकोबेर गेलहो नै? कोना ओकर परीक्षा जाय छै से नहिं कैह. कहिया से हम ओकरा लेल दही पौड़ के धैने छिए.

गिरहथ(अकचकाय के)- आरौ तोरी कऽ बड़का जुलुम भऽ गेलै. हम खेती- खोला में तेहन ओझरा गेल रही जे हमरा ओकर परीक्षा'क ध्याने नहिं रहल. हमरा ओ कहने रहय जे ओकर सैन दिन(Saturday) परीक्षा खत्म भऽ जेतै से बाबू ओहि बीच में कहियो तूॅं परीक्षावला बासा पर आबिहऽ. आय सैन छिए आब जाइए के कि करबै.
तैयो तूॅं जल्दी से दहीवला मटकूरी ला. ला जल्दी; देखै छिए कोनो उपाय कैर के;गिरहथ अपन घरवाली के कहलक.
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स्थान-बलवा हाट'क डाक एवं तारघर. 
तारबाबू फोंचाय झा कुर्सीए पर बैठल-बैठल ओंघाइत रहय.

गिरहथ(फोंचाय झा'क टेबुल पर दहीवला मटकूरी रखैत)- परनाम तार-बाबू! हमरा अहाॅं से एकटा बड्ड जरूरी काज पड़ि गेल ये.

फोंचाय झा(अपन मोटका पावरवला चश्मा ठीक करैत)- से कोन तोरा हमरा से काज पड़ि गेलौ?

गिरहथ- हमरा अखन ई दही'क मटकूरी तार (telegram)कऽ दियौ- ऐ पता पर. बात ई छै जे हमर बेटा सिमरी बख्तियारपुर में मैट्रिक के परीक्षा दै रहलै हैं;आय ओकर परीक्षा सेहो खतम भऽ जेतै,हम ओकर पूछारियो में नै जा सकलिए जे कोना ओकर परीक्षा जा रहल छै.से हम चाहै छिए जे कहुना ओकर माय ओकरा लेल सनेस में जे दही हमरा मार्फत भेजय लेल पौड़ने छै से ओकरा आय दुपहरो तक पहुंच जाय. ताहि ले जल्दी से ई मटकूरी तार कऽ दियौ.

           फोंचाय झा कखनो गिरहथ के मुॅंह ताकय त कखनो दही'क मटकूरी दिस. 
फोंचाय मटकूरी'क झप्पा उघारि के हुलैक क देखल'क त मटकूरी में मोटका छल्हिगर दही गमगम करैत रहय. दही देखैत फोंचाय के मुॅंह में पाइन आइब गेलै.

फोंचाय झा(गंभीर मुद्रा बनबैत)-ठीक छै-ठीक छै; मटकूरी ओय कोन में ओड़िया के राख आ तूॅं घर जो. तोहर मटकूरी तोरा बेटा के तार भऽ जेतै.

गिरहथ-ठीक छै. लेकिन अहाॅं तार क‌इये देबै. बिसरबै(forget )नै.

फोंचाय झा- नै रौ, नै बिसरबै. तूॅं जो ने निश्चिंत भऽ के!
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दोसर दिन गाम पर.
गिरहथ(पढ़ुआ से)-बाव रे! परीक्षा केहन गेलौ.
पढ़ुआ(बाप पर फुचियाबैत)- हम तोरा से बात नै करैत छिय. से कहि देलिय हें.

गिरहथ- से कि भेलौ बौआ? 

पढ़ुआ - एक बेर कैह देलिय नै जे हम तोरा दुनू गोरय से बात नहिं करै छिय ते हमरा बेर-बेर टोइक के हमर मूड आरो खराप नहिं करऽ. बूइझ गेलहक नै?

गिरहथ(अपन घरवाली से)-अरे एकरा तोहिं समझाही.एतै पैढ़-लिख के मुरूख जोंकऽ बात कय रहलै हैं. खेती-खोला में लाइग गेलिए से ध्याने नहिं रहले तहि से नहिं जा सकलिय तऽएहि में एतैक गोस्सा करैक कोन काज छै.

पढ़ुआ'क माय- हॅं रे बच्चा! तोहर बाबू जाय नै सकलौ मुदा हम तोरा लेल अपने महिस'क बकैन दूध'क दही मटकूरी में पौड़ के पठा देने रहियौ न?

पढ़ुआ(अकचकाय के) कोन दही'क मटकूरी?हे गे माय! तूॅं कहिया से एतेक झूठ बाजय लागलही?

गिरहथ(खिसिया के)- रे छौरा! तूॅं आय जनैम के ठाड़ भेलय हैं आ हमरे दुनू परानी के झूट्ठा बनबै छैं? तोरा कि बूइझ पड़ै छौ जे तोहर माय झूठ कहि रहल छौ?

हम नै जाय सकलिय त ओ दही'क मटकूरी के हम अपने से तारबाबू लंग जाय कऽ तोहर बख्तियारपुर के परीक्षावला बासा'क पता पर तार करा देलिये कि ने?

पढ़ुआ- तूॅं दूनू गोरे कथि ले एतैक बाउंड्री दय रहलौ हॅं जी?
गिरहथ(क्रोध में)-तोरा मने हम दूनू गोरय झूट्ठा?
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गिरहथ आंगन से अपन तेल पियाएल लाठी लैत एवं पढ़ुआ के डेन(arm) पकरने-पकरने तारघर पहुंच गेल.

गिरहथ(तारबाबू से)- तारबाबू यौ हम काल्हिये दही मटकूरी तार करय लेल डाकघर में सुपुर्द करलौं रहय नै?ई छौरा के बुझा के कहियौ. एकरा अपन माइयो-बापक बात पर विश्वास नहीं होयत छै. 

फोंचाय झा विषम परिस्थिति के तारैत कखनो गिरहथ'क लाठी दिस ताकैत कखनो गिरहथ के क्रोधावेशित मुखारबिंद दिस. ओकरा बूझै में कोनो भांगठ नहिं रहलय जे जों कदाचित गिरहथ के ई कहि देल जाय कि बुड़बक! मटकूरी कतौ तार भेलै हैं! ओ तो हम काल्हिये अपन पेट के सप्रेम भेंट कऽ देलिय तब ते ई बुड़बक बलिष्ठ गिरहथ हमर माथे पर लाठी बजाइड़ देत. 

फोंचाय झा (मोने-मोन)-फोंचाय!कोनो युक्ति लगाहबि पड़तौ नै त तोहर प्राण आय संकटे में बूझ.

फोंचाय झा(गिरहथ'क बेटा दिस ताकैत एवं तमकैत)- रे पढ़ुआ! तुम्हारा माॅं-बाप तुमको इसीलिए पढ़ा रहा है जो तुम उस पर शक करो? छी:छी:छी: आज कल का बच्चा से किसी माॅं-बाप को उम्मीदे करना बेकार है. 

तारबाबू'क एहन दुत्कार सुनि पढ़ुआ सिटपिटा गेल.

ओ सकुचाइत बआजल- लेकिन हमको तो मटकूरी जो बाबू कह रहे हैं कि ऊ तार किये सो हमको कहां मिला?

फोंचाय झा (दांत पीसैत)- नालायक कहीं का? हर बाते में शंका! अरे इधर से जब मटकूरी तार हो रहा था तो दूसरे तरफ से से कोनो आसामी का लोढ़ी-सिलौठ तार हो के आ रहा था तहि से मटकूरी बीच्चे में लोढ़ी-सिलौठ से टकरा के फूइट गया तो तुमको कैसे मिलता?

गिरहथ (अपन बेटा से)- आब बूझली नै जे हम मटकूरी तार केने रहियौ. कुजौखी'क चलतवे मटकूरी फूइट गेलै ते ऐ में तार बाबू'क कोन दोख(fault)?

फोंचाय झा- सैह बूझही!
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खिस्सा समाप्त.
ओना लिखला'क उपरांत एकटा अनुभव ई भेल जे गप्प हांकनाय एवं गप्प लिखनाय दुनू में बड्ड अंतर छै.
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 हमर घरवाली जे हमर बहिन सबहक संगे बैस कऽ ई खिस्सा सुनैत रहथिन,हमरा दिस तमैक के बजलीह - हमरा ते कहियो अहाॅं कोनो खिस्सा नहिं सुनेलौं? बहिन सब के देख'कऽ बेसी बोली फुइट रहल ये कि?
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                                   राजीव रंजन प्रभाकर.
                                       १२.०८.२०२३.

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