आचार्य श्रीशंकर विरचित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से व्यावहारिक बोध करानेवाली सूक्तियां.
आदिशंकराचार्य को कौन नहीं जानता! वे जीवनमुक्त सन्यासी थे.ज्ञान के माध्यम से अपने विवेक को जागृत कर मोक्ष की चाहना रखनेवालों के लिए जहां एक ओर उन्होंने गीताभाष्य,विवेकचूड़ामणि, अपरोक्षानुभूति जैसे ग्रंथों की रचना कर उनका परम उपकार एवं उद्धार किया वहीं उन्होंने सामान्य व्यक्ति के लोकव्यवहार को दोषरहित,विवेकोन्मुख एवं कल्याणकारी बनाने हेतु छोटे-छोटे प्रश्नोत्तररुप लघुग्रंथों की भी रचना की.उनमें प्रश्नोत्तरमणिमाला एवं प्रश्नोत्तररत्नमालिका प्रमुख हैं. मेरे जैसे साधारण समझ किन्तु परदोषदर्शन में ही कालक्षेप करनेवाले को उनके इन लघुग्रंथों में निहित सूत्ररूपी सूक्तियां का निरंतर स्मरण,चिन्तन एवं मनन करना चाहिए. इससे बुद्धि और व्यवहार में शुद्धता आ सकती है. इसी को लक्ष्य कर उनकी कृति 'प्रश्नोत्तररत्नमालिका' से व्यावहारिक बोध करानेवाली कुछ सूक्तियां सानुवाद प्रस्तुत है.
प्रश्न- किं गुरुताया मूलम् ?
(श्रेष्ठता का मूल क्या है?)
उत्तर-यदेतदप्रार्थनं नाम।
(किसी से याचना न करना.)
प्रश्न-किं लघुताया मूलम्?
(तुच्छता का मूल क्या है?)
उत्तर-प्राकृतपुरूषेषु या याञ्चा।
(स्वयं से भी अपात्र एवं साधनहीन से याचना करना.)
प्रश्न- को नरक:?
(नरक क्या है?)
उत्तर- परवशता।
(पराधीनता ही नरक है.)
प्रश्न-किं सौख्यम्?
(सुख क्या है?)
उत्तर-सर्वसंगविरतिर्या।
(सभी आसक्तियों से मुक्ति)
प्रश्न- आमरणात किं शल्यम्?
(मृत्युकाल तक चुभनेवाला कांटा क्या है?)
उत्तर-प्रच्छन्नं यत् कृतं पापम्।
(छिपकर किया गया पाप.)
प्रश्न-को अंध:?
(अंधा कौन है?)
उत्तर-योऽकार्यरत:
(जो बुरे कामों में लगा है.)
प्रश्न- को बधिर:?
(बहरा कौन है?)
उत्तर-यो हितानि न श्रृणोति।
(जो हितकर सलाह नहीं सुन पाता)
प्रश्न-को मूक:?
(गूंगा कौन है?)
उत्तर-य: काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति।
(जो समय पर उचित बात कहना नहीं जानता.)
प्रश्न-को हि न वाच्य:सुधिया?
(बुद्धिमान को क्या नहीं कहना चाहिये?)
उत्तर-परदोषश्चानृतं तद्वत्।
(दूसरे का कलंक और झूठी बात.)
प्रश्न-किं नु बलम्?
(बल किसे कहा जाता है?)
उत्तर-यद्धैर्यम्।
(धैर्य को ही बल कहा जाता है.)
प्रश्न-को वर्धते?
(उन्नति किसकी होती है?)
उत्तर-विनीत:।
(विनम्र व्यक्ति की.)
प्रश्न- को वा हीयते?
(अवनति किसकी होती है?)
उत्तर- यो दृप्त:।
(जो घमंड में चूर है.)
प्रश्न-को न प्रत्येतव्य:?
(अविश्वसनीय कौन है?)
उत्तर-ब्रूते यश्चानृतं शश्वत्।
(जो हमेशा झूठ बोलता है)
प्रश्न- गृहमेधिनश्च मित्र: किम्?
(गृहस्थ का सबसे बड़ा मित्र कौन है?)
उत्तर-भार्या।
(गृहस्थ का सबसे बड़ा मित्र पत्नी है.)
प्रश्न-प्रत्यक्ष देवता का?
(प्रत्यक्ष देवता कौन है?)
उत्तर-माता।
(माता ही प्रत्यक्ष देवता है.)
प्रश्न-पूज्यो गुरूश्च क:?
(गुरु और पूज्य कौन है?)
उत्तर- तात:।
(पिता ही पूज्य और गुरु है.)
प्रश्न-कस्य कुलक्षयहेतु:?
(कुल का नाशक क्या है?)
उत्तर-सन्ताप: सज्जनेषु योऽकारि।
(भले लोगों को सताना ही कुल का नाशक है)
प्रश्न- किं भाग्यं देहवताम्?
(मनुष्यों का सौभाग्य क्या है?)
उत्तर-आरोग्यम्।
(स्वस्थ रहना.)
प्रश्न-किं सम्पाद्यं मनुजै:?
(मनुष्य को क्या कमाना चाहिये?)
उत्तर-विद्या वित्तं बलं यश:पुण्यम्.
(मनुष्य को विद्या,धन,बल, कीर्ति और पुण्य कमाना चाहिये.)
प्रश्न-को हि भगवत्प्रिय: स्यात्?
(ईश्वर को प्रिय कौन होता है?)
उत्तर-योऽन्यं नोद्वेजयेदनुद्विग्न:।
(जो शांत है और दूसरों को अशांत नहीं करता.)
हम सभी को अपने कर्म एवं दैनिक क्रियाकलापों के माध्यम से अपने जीवन को यथाशीघ्र यथासाध्य इन सूक्तियों के अनुरूप ढ़ालने का प्रयत्न करना चाहिए.
शेष भगवत्कृपा.
राजीव रंजन प्रभाकर.
२८.०६.२०२०.
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कोटिश: धन्यवाद 🙏
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