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Showing posts from November, 2021

"राम" नाम का मूल्य

आज संसार में प्रत्येक वस्तु के मूल्य का निर्धारण उसके कीमत से होता है न कि कीमत उस वस्तु के मूल्य से तय होती है. हम इतने मूढ़ हो चले हैं कि जो अमूल्य है उसकी भी कीमत लगाने से बाज नहीं आते. संक्षेप में हर चीज के गर्दन में एक प्राइस टैग लगा है.  व्यक्ति स्वयं को जितना ही rational समझता जाता है उसमें दुनियादारी की समझ बढ़ती जाती है; मन में श्रद्धा-विश्वास के भाव का क्षरण होता जाता है; जीवन के प्रत्येक संव्यवहार में उसकी बुद्धि नफा-नुकसान की गणना से ग्रस्त रहती है. स्वयं को श्रेष्ठ समझने के साथ-साथ वह हर उस व्यक्ति को दया का पात्र समझता है जो भगवान के प्रीत्यर्थ भजन भाव रखता हो.    खैर विषयांतर होने से पहले मैं यह क्यों लिख रहा हूं उसके बारे में बताना चाहता हूं कि एक कथा है जिसे किसी विरक्त संत ने भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजीपोद्दार(कल्याण पत्रिका के आदि संपादक) को सुनाई थी.        यह कथा कल्याण पत्रिका में प्रकाशित है. इस कथा में वर्णित है कि कैसे किसी जीवात्मा ने 'राम' नाम का मूल्य जानने की चेष्टा की थी जिसे उस जीव ने अपने सांसारिक जीवन में मात्र एक बार परव...

कृष्णा

एक पुरानी कहानी है. इसे मैंने Like the flowing river नामक पुस्तक में   पढ़ी है. किताब Paulo Coelho ने लिखी है. ब्राजील मूल के बहुत ही प्रसिद्ध लेखक हैं. ये अपनी रचना The Alchemist के लिए काफी मशहूर हुए.  Like the flowing river किताब है तो यह मूलतः उनके यात्रा संस्मरणों का पुलिंदा किंतु इस मामले में जरा अलग है कि यह लेखक के reflective mood और content से पाठक को सिर्फ परिचित हीं नहीं कराता प्रभावित भी करता है. उनकी कोई भी किताब कम से कम जब तक हाथ में है लेखक से बेहतरीन ढंग से connect कर देती है. लेखक जो extraordinary होते हैं उनकी ये खूबी होती है. फिर Paulo Coelho तो जिनियस है हीं; इसे वे अपने बारे में इस किताब के preface में ही घुमा फिरा कर कह दे रहे हैं.          बहरहाल Paulo Coelho अपनी उस किताब में लिखते हैं कि उन्हें भी ये कहानी किसी ने उनके बंगाल भ्रमण के दौरान हीं सुनायी थी जिसे उन्होंने अपने इस पुस्तक में शामिल कर लिया. क्यों शामिल किया? नहीं पता.                      किंतु मैं इस कहानी ...

रघुनंदन अब जल्दी करो!

 पुरूषोत्तम श्रीराम रावण से युद्ध किये जा रहे थे.रावण पर निरंतर बाणवर्षा से भी उसका कुछ विशेष बिगड़ नहीं पा रहा था. एक से एक कालसदृश बाण को रावण या तो अपने पराक्रम से शिथिल किये दे रहा था या फिर प्रतिकारक अस्त्र से उसे निस्तेज कर देता.  श्रीराम महामुनि विश्वामित्र के संरक्षण में सीखे प्रत्येक युद्धास्त्र का क्रम से रावण पर प्रयोग किये जा रहे थे और रावण था कि उन सभी बाणो को अपने बज्रसदृश उरपटल पर बिना किसी विशेष श्रम के सहन कर ले रहा था. यहां तक कि जब श्रीराम ने उसके सिर को धर से अलग कर दिया तब भी उसके शरीर से नये-नये सिर निकल कर उसे पूर्व की भांति अट्टहास करने में सक्षम बना देते और वह श्रीराम पर जोर-जोर से हंसता. रणक्षेत्र में राक्षसेंद्र की जिगीषा देखते ही बनती थी. वह भी तब जब वह अपने भाई कुम्भकर्ण और प्रियपुत्र बारिदनाद को खो चुका था और राक्षस पक्ष के वज्रदंष्ट्र,अकम्पन,प्रस्हस्त,महापार्श्व,देवान्तक,त्रिशिरा,निकुम्भ,अतिकाय,मकराक्ष सहित समस्त वीर पहले ही काल के ग्रास बन चुके थे.             सचमुच वह अत्यंत बलशाली था और विरंचि से वर पाकर घमंड...

Who Is Your Brain Factory Supervisor;Mr. Sad or Mr.Happy?

       Human Brain can be likened to a factory. Yes; a factory where production of thoughts takes place. Nothing can be produced without an input. But this brain factory happens to be unique. It never stops functioning unless it gets impaired by whatever reason.       According to an expert estimate, the human brain generates not less than 50 thousand thoughts a day! But most of them are short-lived since they die their natural deaths just after taking birth unless they are picked up for them to be worked with or upon. Past experiences, surrounding, relationships, events etc. serve as inputs. These inputs are laid into the factory by two supervisors appointed by you.      Their Names are Mr.Sad and Mr.Happy. *********************************************** When you wake up in the morning both these supervisors appear before you.These brain factory supervisors stand daily in attendance before you for receiving orders for production of thou...