व्यर्थ का वितण्डा -Driven by Holier-than-Thou Approach
***************************************** वर्षों पहले एक फिल्म देखी थी. इसमें खलनायक हीरो को कहता है-बोलो इस्लाम जिंदाबाद; हीरो उसे परिस्थितिवश दुहराता है. फिर खलनायक उसे कहता है-बोलो पाकिस्तान जिन्दाबाद; हीरो फिर उसे दुहराने को मजबूर है.बात न बनते देख खलनायक अपना आखिरी पत्ता फेंकता है. वह हीरो से कहता है -बोलो हिंदुस्तान मुर्दाबाद. ये सुनते हीं हीरो उस खास मक़सद से जमा किये गये मजमे को अपने कहर के आगोश में ले लेता है. कहने का मतलब ये है कि- आप किसी "पैथी" के घोर समर्थक होते हैं या हैे ; इसमें भला किसी को क्या ऐतराज़ हो सकता है! अच्छा ये कतई नहीं है कि समर्थन की आड़ में हम किसी अन्य पद्धति का परस्पर विरोध वो बदनाम करने की मुहिम शुरू कर दें. तब लगता है कि समर्थन या विरोध को किसी राजनीतिक विचारधारा या दुर्धष व्यापारिक हित ने उसे अपने हितसाधन का माध्यम बना लिया है और इसी खातिर इस गंदे मुहिम को सोशल मीडिया में गति,दिशा और प्रवाह प्रदान किया जा रहा है. खैर! हम आम आदमी कर भी क्या सकते हैं. इन सोशल मीडिया कम्पनी की महिमा अनंत है. ये सरकार तक को आंख दिख...