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Showing posts from August, 2023

Tying of rakhi-string on the occasion of Rakshabandhan.

A few years back I was posted in Darbhanga where my elder sister lives.She is a permanent resident of that district.  So long I remained during my posting there she would come to me to tie Rakhi on every Raksha Bandhan. The photograph below reminds me of those moments. While tying Rakhi on my wrist she would utter the famous shloka that reads as follows: येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेनत्वाम प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।।  (यह बहुत ही सुन्दर एवं प्रसिद्ध श्लोक है. रक्षाबंधन के दिन राखी बांधे जाते समय इसे लोग उत्साहपूर्वक पढ़ते हैं. पूजादि समापन के पश्चात भी अपने यजमान को रक्षासूत्र बांधते समय पंडित जी इस श्लोक को पढ़ते हैं.) अर्थ इस प्रकार है-    हरिप्रिया लक्ष्मी ने अपने भाई महाबली दानवेन्द्र राजा बलि की कलाई को जिस सूत्र से बांधा था उसी सूत्र(रक्षा सूत्र) से आज मैं तुम्हें बांधती/बांधता हूॅं; संकटापन्न मार्गों, व्याधि तथा दुष्टादि खलमंडली से यह रक्षासूत्र तुम्हारी रक्षा करे.) *******************************************************       ...

Chandrayan-3 mission- Apart from revelling at its success what can we learn from it?

Chandrayan-3 success story is a lesson for those who get flaccid at finding their very first attempt meeting with failure.  We can draw lesson from it that no defeat is final until we stop.  It makes us feel that the taste of success is uniquely different when it is setback driven. Chandrayan-3 story is the beautiful example of the right to bounce back to the position one deserves by hard work, determination and perseverance. Chandrayan-3 mission success has shown that blessings of all who love you matters to help get success amidst of course a few ones who may be waiting to see you fail. *************************************************** Chandrayan-3 mission has underlined the importance of Failure Model of Success(FMS).   The nomenclature abovenamed though may appear to be an oxymoron of sorts, it's true that it is this model that ISRO adopted and the rest is history. I don't know what exactly this model is in terms of scientific research methodology or how this m...

अक्खड़ तुलसी

आज तुलसी जयंती है.  इस पावन दिवस पर उनकी स्मृति में उनके व्यक्तित्व पर चर्चा करना हीं प्रस्तुत लेखन का अभीष्ट है. ******************************************************* तुलसीदास जी के बारे में कहा गया है कि वे बहुत अक्खड़ स्वभाव के व्यक्ति थे.          वही व्यक्ति प्रायः ऐसा हो पाता है जिसे संसार से कुछ खास लेना-देना नहीं होता है. जहाॅं आपको संसार से कुछ लेना-देना हुआ तो फिर आप अक्खड़ नहीं हो सकते. संसार से लेना-देना रखते हुए अक्खड़ता का मात्र स्वांग भर किया जा सकता है.                अक्खड़ को न पुरस्कार की कामना होती न ही तिरस्कार का भय. तुलसी इन्हीं लोगों में से एक थे.   तुलसी का काम अपने इष्टदेव श्रीराम को भजना भर था. शरीर की यात्रा जो कुछ मिल जाए उसी पर निर्भर था.            वे आजकल के संन्यासी या कथावाचक की तरह तो थे नहीं जो लाखों रुपए की धनराशि बतौर प्रवचन शुल्क एडवांस में वसूल कर और हवाई जहाज से यात्रा कर करके वातानुकूलित वातावरण में व्यासगद्दी पर बैठ कहते हैं कि पैसा ह...

~When to control what~

***When you are alone----- control your thoughts. ***When you are with your friends-----control your tongue. ***When you are angry------------control your temper. ***When you are in/with a group-----------control your behavior. ***When you are in trouble-------control your emotions. ***When God starts blessing you-----control your ego. --------------------------------------------------------------------------------- When you are in a crowd-----try to remove yourself out of it as early as possible.                                            ~R.R.Prabhakar.                                                 20.08.2023.

एकटा गप्प (अप्पन गाम'क भाषा-ठेठीवला मैथिली में)

हम जै समय में मैट्रिक-इंटर के विद्यार्थी रही तहिया हमरा में एक टा प्रतिभा ई छल जे हम दोस-महिम(friend circle)के बीच हॅंसी लगाबऽ लेल तरह-तरह के गप्प खूब छॅंटैत छलहुॅं. आब ते स्वास्थ्य आदि सॅं लऽ कऽ बच्चा सबहक पढ़ाई-लिखाई वा चंद तरहक घरेलू समस्या सहित आओर नौकरी-चाकरी'क झंझावात में तेहन ओझराइल रहैत छी जे ओ प्रतिभा कहिया विलीन भऽ गेल से पते नै लागल.                आब ते घर में घरवाली'क उपराग,गज्जन(complain and reprimand) आओर आफिस में साहेब'क डांट सुनि-सुनि भरि दिन मुॅंह लटकले-बिधुवायल(depressed)रहय ये. ******************************************************* ओना सही कही तऽ इहो गप्प छॅंटैवला प्रतिभा हमर नैसर्गिक प्रतिभा नहिं छल.एकर कारण ई थिक जे हमर गाम'क दूरी हमर शहर'क घर सॅं मुश्किल से दसे-पन्द्रह किलोमीटर छै. ताहि समय में हम जहिया-जहिया गाम जाइत रही सब बेर अपन बच्चा भाई [हमर पितियौत(cousin)भाय] से किछु नै किछु गप्प सीख के ओकर पुड़िया बना कऽ अप्पन जेबी में राखि लैत रही.  यद्यपि बच्चा भाई हमरा सॅं बहुत जेठ छलाह तथापि ओ सबके अप्पन गप्प से हॅंसाबय मे...

कोचिंग पर अंकुश: एक अत्यंत सराहनीय कदम.

***सरकार एवं विभाग का एक अत्यंत सराहनीय कदम*** ************************************************** प्रदेश की जनता को इसका समर्थन करना चाहिए. शिक्षा जगत का इससे भला होगा. लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं होगा. इस निरंकुश व्यवसाय को अच्छे से नियंत्रित करने की आवश्यकता है जिसमें इन्हें शिक्षा हित में बंद कर देना तक भी शामिल होना चाहिए.  अन्यथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को हम अभिभावकों एवं शिक्षकों को इन्हीं नामाकूल कोचिंग संस्थानों के हवाले छोड़ आराम करना पसंद हो तो कोई क्या करे?  इनकी नजर गार्जियन के बटुए पर होती है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई न होते देख हालत यह है कि अब गरीब गुरबा तबका भी अपना पेट काटकर अपने बच्चों को इन्हीं कोचिंग में भेजने को मजबूर हैं. एक समय था जब सरकारी स्कूल हीं शिक्षण का मुख्य एवं महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था जहां से बच्चे पढ़कर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाते थे. भले ही तब ये विद्यालय छतविहीन थे, पर्याप्त वर्ग-कक्ष की कमी थी, शिक्षकों का वेतन कम था, अभिभावक आज-कल जितने शिक्षित भी नहीं थे तब भी शिक्षक पढ़ाते थे और छात्र इन्हीं साधनहीन विद्यालय में पढ...