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Showing posts from October, 2020

रावण का रथ.

आज विजयादशमी है. मान्यता है कि आज के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने दसानन रावण का वध कर स्वर्णपुरी लंका पर विजय पाया था. इसी संदर्भ में भावशुद्धि-आत्मशुद्धि के निमित्त एक प्रसंग है जिसका वर्णन गोस्वामीजी ने अपनी कालजयी रचना श्रीरामचरितमानस के लंकाकांड में किया है.युद्धभूमि में श्रीराम केे पास न तो कोई रथ था न हीं युद्ध में तन की रक्षा हेतु कोई कवच या पांव में जूते. वहीं कुलिस के समान कठोर कवच धारण किये तथा हाथों में नाना प्रकार के आयुध से लैस बलशाली रावण बिजली के समान तेज गति से चलने वाले रथ पर घमंडपूर्वक सवार हो भगवान श्रीराम को ललकार रहा था.यह दृश्य देख बिभीषण को बड़ी चिंता हो गयी. अधिक प्रेम होने से उनके मन में संदेह हो गया कि भगवान राम इस रथारूढ़ रावण पर कैसे विजय प्राप्त कर सकेंगे. कहां बिजली की फूर्ति से चलकर बवंडर उत्पन्न करता रावण का रथ और कहां युद्धभूमि में उनके स्वामी भगवान राम जिन्हें न कोई रथ न कवच न पादत्राण(जूता)!अधीर बिभीषण श्रीरामजी के चरणों की बंदना कर मोह एवं स्नेह के वशीभूत हो बोले- हे नाथ! मुझे बड़ी चिंता हो रही है. आपके पास युद्ध के लिये आवश्यक न कोई रथ है न ...

विद्या और शिक्षा में अंतर

शिक्षा और विद्या में अंतर करना जरा मुश्किल है, क्योंकि यह अंतर वही करने की पात्रता रखता है जो शिक्षित होने के साथ-साथ विद्यावान भी है. और विद्यावान को ऐसा करना जरूरी नहीं है. वह अंतर क्यों करे! विभेद करना अविवेकता की पहचान है जो हम जैसे व्यक्ति बड़े हीं चाव से न केवल करते हैं बल्कि उसे लिखते भी हैं. अस्तु.  जिस प्रकार जानकारी का संग्रह शिक्षा नहीं है उसी प्रकार शिक्षित होने का अर्थ यह नहीं है कि ऐसा व्यक्ति विद्यावान भी हो हीं. शिक्षा से जीवन को सुंदर एवं सुखमय बनाया जा सकता है किन्तु इससे अज्ञानरुपी अंधकार का नाश नहीं होता. यदि ऐसा होता तो सामाजिक मान्यताप्राप्त उच्चशिक्षित-प्रशिक्षित लोग जिसे आमजनता गौरव से देखती है, कुछ ऐसा न कर बैठते जिससे समाज में हताशा और निराशा का संचार होता हो. कभी ये शिक्षित-प्रशिक्षित किसी घपले-घोटाले या व्यभिचार-बलात्कार में संलग्न हो अखबार की सुर्खी बटोरते हैं तो कभी ये सफलता के शीर्ष पर आकर अपनी जीवनलीला को ही विषादबस अकस्मात समाप्त कर देते हैं. उदाहरण देने की आवश्यकता नहीं है. इसे अंधकार ही तो कहेंगे.  यह विद्या है न कि शिक्षा जो इस अंधकार का ना...