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Showing posts from July, 2020

Remembering Lord Vishnu.

The effect of simply remembering with devotion the Name of the Lord of lords God Sri Hari Vishnu is miraculous for those who believe in Him with unflinching faith and devotion. Just remember Him with faith and devotion to depend solely on Him in all the worldly pursuit enjoined by action called duty; It has liberating effect from the endless coil created out of ceaseless series of birth-death-rebirth and so on.                         On the ground level; it enables one to pass through the chain of adversities thrust upon by way of प्रारब्ध with no loss of mental peace.                           And Mental Peace! I hold; it is the most precious possession of one's life. It is "not negotiable" for ...

Happiness Explored

नास्ति  विद्यासमं चक्षुर्नास्ति सत्यसमं तप:। नास्ति रागसमं दु:खं नास्ति त्यागसमं सुखम्।।                                            (नारदगीता१/५) विद्या के समान कोई ने...

देवर्षि नारद का अभिमान भंग

देवर्षि नारदजी भगवान के अन्यतम भक्त थे किन्तु उन्हें भी भगवान की माया ने प्रताड़ित नहीं किया हो;ऐसा नहीं है. हालांकि इसके साथ ही यह भी सत्य है कि सच्चे भक्त को मोहाभिमान से बचाना भी भगवान् का हीं जिम्मा है.यह उनका प्रथम कर्त्तव्य है. हम सभी जानते हैं कि कैसे एक बार मुनि को यह अभिमान हो चला कि वे कामविजयी हो गये हैं और अभिमानवश इसकी चर्चा उन्होंने कैलाश जाकर भगवान शंकर से की थी. कामारि भगवान् शंकर ने तब मुनि को यह नेक सलाह जरूर दिया कि- 'मुनिवर! अपने इस कामविजयविषयक प्रसंग की चर्चा भूल से भी करूणा-वरूणालय परमकौतुकी श्रीहरि से नहीं कीजियेगा;वे पूछे तब भी नहीं.'                                          किन्तु देवर्षि के अभिमान का परिमाण इतना हो गया था कि नारद स्वयं को संयत नहीं कर पाये.सलाह के विपरीत उन्होंने अपने कामविजयगाथा का बखान जाकर विश्वपालक भगवान विष्णु से कर हीं दिया.नारदजी का ...

जीवात्मा और परमात्मा में क्या भेद है?

सबसे पहले तो क्षमा याचना कि इस विषय पर कुछ भी बोलने-लिखने में मैं स्वयं को सर्वथा अनधिकारी मानता हूं.कारण भी प्राय: स्पष्ट हीं है;चंद धार्मिक पुस्तक पढ़ कर एवं उसी का आश्रय ल...