हे नारायण!
हे नारायण! आपसे एक विनती है प्रभु. आप मेरी कभी परीक्षा नहीं लेना. परीक्षा से मुझे बहुत घबराहट होती है. जहां तक मैं स्वयं को जान और परख पाया हूं, मुझे पता है कि यदि आप कड़ाई से मेरी परीक्षा लेंगे तो उस परीक्षा में मैं निश्चित ही फेल कर जाऊंगा. परीक्षा का विषय चाहे ज्ञान हो, भक्ति हो, कर्म हो, कर्तव्य हो,विवेक हो; कुछ भी क्यों न हो! ऐसा नहीं है कि आपने इनकी तैयारी करने का मुझे अवसर और पर्याप्त समय नहीं दिया; नाथ! इसमें सारी गलती मेरी ही है जो मैंने इस समय को व्यर्थ हीं मनोविनोद में तथा दूसरे-दूसरे कार्यों जो मेरे हीं काम, क्रोध और लोभ से उत्पन्न थे,को करने में नष्ट कर दिया. अब तो आपकी कृपा का हीं सहारा बचा है,प्रभु! साधारण शैक्षणिक परीक्षा में भी कमजोर छात्र को परीक्षक कृपांक (grace marks) देकर पास कर देते हैं. इसलिए भगवन्! आपको भी मेरी परीक्षा लेना यदि बहुत जरूरी हीं लगे तो हे कृपानिधान! आपकी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए मुझे grace marks आपको देना हीं होगा ताकि कम से कम मैं Subjectly Pass हो पाऊं! वैसे मैंने ये भी सुना है जिस पर आपकी अहैतुकी कृपा होती है, उसे आप बिना प...