नया शा'इर बने हो
नया शा'इर बने हो जिस तिस को शे'र सुनाने बैठ जाते हो ख़ुद अपने ही हाथों अपने अश'आर की तौहीन कर जाते हो यहाॅं अश'आर को हुरूफ-ए-तहसीन हैसियत से मिलती है जो मेरी बात का ए'तबार नहीं तो एक बार किसी महफ़िल में जाकर देखो ये दुनिया वाह वाह भी उसी के लिए करती है जिसे वह अपने लायक या बराबर समझती है. ** ग़म हो या शा'यरी दस्त ए बुक़्चा उसका वहीं खोलो जो हो तुम्हारा हमदर्द या फिर सुकूॅं का हो मुंतज़िर जो हो हम ख़्याल या फिर हम सफ़र क्योंकि- भूक और छाॅंव की अहमियत का उसी को पता होता है जो शिकम जला धूप में दूर से चल कर आया होता है. ~ राजीव रंजन प्रभाकर. نیا شاعر بنے ہو جس تس کو شعر سنانے بیٹھ جاتے ہو۔ خود اپنے ہی ہاتھوں اپنے اشعار کی توہین کر جاتے ہو۔ یہاں اشعار کے لیے حروف تحسین حیثیت سے ملتی ہے۔ جو میری بات کا اعتبار نہیں تو ایک بار کسی محفل میں جا کر دیکھو۔ یہ دنیا واہ واہ بھی اسی کے لیے کرتی ہے جسے وہ اپنے لائیک یا برابر سمجھتی ہے ۔ ...